देवरनिया नदी का पानी 500 गुना ज्यादा 'मैला'
देवरनिया नदी ने खतरे की घंटी बजा दी है।
जेएनएन, बरेली : कुंभ के लिए गंगा और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषणमुक्त, निर्मल बनाने में जुटी सरकार के लिए देवरनिया नदी ने खतरे की घंटी बजा दी है। नदी का जल सामान्य से 500 गुना ज्यादा रंगीन यानी प्रदूषित है। शुक्रवार को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने सराय तल्फी में रामगंगा की इस सहायक नदी के जल का सैंपल लेकर परीक्षण किया था। रिपोर्ट पर लखनऊ स्थित मुख्यालय तक हरकत में आ गया है। इसके कारणों के लिए सोमवार को पूरे प्रवाह क्षेत्र का परीक्षण किया जाएगा।
प्रयागराज तक गंगा का स्वच्छ जल पहुंचाने के लिए इसकी सहायक नदियों के किनारे भी उद्योगों, फैक्ट्रियों और प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को बंद करने के आदेश हैं। नियमित मॉनीट¨रग की जा रही है। इसी के तहत उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय की टीम ने देवरनिया नदी के जल का सैंपल लिया। नदी के जल का मानक रंगहीन (स्वच्छ) का है, जबकि जल में 500 हैजन प्रति मिलीग्राम मिला है। अन्य नदियों की तुलना में 10 गुना ज्यादा पीलेपन युक्त जल मिला। हैजन जल की रंग मापक इकाई है। आरओ से दोबारा परीक्षण किया
नदी का जल अत्यधिक रंगीन होने की रिपोर्ट पर माह के द्वितीय शनिवार का अवकाश के बावजूद बोर्ड का दफ्तर खुला। क्षेत्रीय अधिकारी ने खुद फिल्टर पेपर लगाकर आरओ पर पानी का रंग चेक किया। आरओ के परिणाम ने भी कलर मीटर के रिपोर्ट की पुष्टि की। यह नदी चौबारी के आगे बिरिया नारायणपुर गांव में रामगंगा में मिलती है। विलय स्थल से करीब 100 मीटर पहले फिर से सैंपल लिया गया।
सीवेज, फैक्ट्री और गोबर माने जा रहे कारण
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इंजीनियरों के मुताबिक, नदी का जल अत्यधिक पीला है। इसका कारण नदी में सीवेज का दूषित जल और फैक्ट्रियों का अपशिष्ट गिरने के साथ ही डेयरी का गोबर हो सकता है। सोमवार को बहेड़ी के पास प्रवेश स्थल (अपस्ट्रीम) और विलय स्थल (डाउन स्ट्रीम) पर दोबारा सैंपल लिए जाएंगे। उन जगहों और कारणों को चिह्नित किया जाएगा, जिनसे नदी जल प्रदूषित और रंगीन हो रहा है। वर्जन
देवरनिया नदी का जल आम नदियों की तुलना में दस गुना ज्यादा रंगीन है। यह पीलेपन में है। इसके कारण खोजे जा रहे हैं। अपस्ट्रीम पर दोबारा सैंपलिंग कराई जाएगी।
-एके चौधरी, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड