बिटिया की मौत के बाद पूरे गांव को अफसोस
पढ़ाई के लिए गांव की बिटिया मुशर्रफ के आत्महत्या करने से अंबरपुर के सारे लोगों को बेहद अफसोस है।
जागरण संवाददाता, बरेली : पढ़ाई के लिए गांव की बिटिया मुशर्रफ के आत्महत्या करने से अंबरपुर के सारे लोगों को बेहद अफसोस है। उसकी मौत की जानकारी होने पर वे अफसोस जताते दिखे। सबकी जुबान पर था कि काश उनको अगर पता लग जाता कि बिटिया पढ़ने के लिए ऐसा कदम उठा लेगी तो सब मिलकर उसे पढ़ा लेते। घटना के बाद पूरा गांव ही शहंशाह के घर पर उमड़ पड़ा।
मुशर्रफ पढ़ने लिखने में होशियार थी, यह बात पूरे गांव को पता थी। लेकिन इस बात का अहसास नहीं था कि गरीबी के कारण उसके माता-पिता उसे संसाधन नहीं उपलब्ध करा पा रहे।
रुपये नहीं थे, इसलिए पंजीकरण नहीं करा सकी
बताया गया कि पिछले महीने जब स्नातक में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हुई तभी से मुशर्रफ ने मां-बाप से प्रवेश दिलाने की जिद शुरू कर दी थी। पैसे की दिक्कत की वजह से वह रुहेलखंड विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर पंजीकरण भी नहीं करा पाई थी। अब तक फिर से अंतिम मौका पंजीकरण के लिए दिया गया तो भी उसके मां-बाप तैयार नहीं हुए। जिसके बाद उसने यह कदम उठा लिया। अंबरपुर के ही निवासी भोजीपुरा के ब्लॉक उप प्रमुख शाहिद खां का कहना है कि उन्हें जानकारी होती कि वह पढ़ना चाहती है तो जरूर इसके लिए उसकी मदद करते।
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बेहद मेधावी थी, साइकिल से जाती थी स्कूल
मुसर्रफ ने इसी साल इंटर की परीक्षा अजीजपुर के एक माध्यमिक विद्यालय से 82 फीसद अंकों से उत्तीर्ण की थी। घंघोरा घंघेरी के आजाद इंटर कॉलेज से हाईस्कूल की परीक्षा में भी उसने काफी अच्छे अंक हासिल किए थे। पढ़ने की मुसर्रफ में इतनी ललक थी कि वह गांव से चार किलोमीटर दूर स्कूल तक साइकिल से हर रोज जाया करती थी। इंटर पास करने के बाद वह बीकॉम में प्रवेश लेने की जिद कर रही थी। घर वालों से कहती थी कि पढ़-लिखकर वह किसी काबिल बनना चाहती है ताकि परिवार को गरीबी से उबार सके लेकिन बिल्डिंग निर्माण कार्य में मजदूरी करने वाले उसके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उसको आगे की पढ़ाई करा पाते।