ममता की आस : मुस्कान के लिए शहरवासियों ने बढ़ाए हाथ
सिस्टम से सवाल पूछ रही मासूम मुस्कान की पाती ने लोगों को बेटी के बारें में सोचने पर विवश कर दिया है। खामोश बैठी सामाजिक संस्थाओं ने अपनी हलचल शुरू कर दी है।
बरेली, जेएनएन : दैनिक जागरण की पहल के बाद 'मुस्कान' की मदद के लिए हाथ बढ़ने लगे हैं। सामाजिक संस्थाएं भी आगे आने लगी है। शनिवार की शाम बच्ची को देखने मानव सेवा क्लब के पदाधिकारी अस्पताल पहुंचे। सुरक्षा कारणों के चलते उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। बच्ची के इलाज के लिए दवाओं और इंजेक्शन की दरकार है। उसके लिए सामाजिक संस्थाएं आश्वासन दे रही हैं।
बेटी की पाती मां के नाम -
मां, तुम मुझे यूं अकेले छोड़ गईं। मैं यहां कुछ डॉक्टरों और नर्स के भरोसे हूं। जब रोती हूं, तो मेरा दर्द कोई सुनने वाला नहीं। जब भूखी होती हूं तो उसे भी कोई समझ नहीं पाता। तुम होतीं तो वह दर्द महसूस करतीं, मेरी जरूरत को समझ पातीं। मगर... न जानें क्यों, तुम मुझे यहां छोड़कर चली गईं। मां, मैं जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हूं। आओ, मुझे संभालो। तुमने मुझे जन्म दिया है, अब नई जिंदगी दे दो... आओ मां, चली आओ। मुझे बेटा मानकर ही सही, मगर चली आओ। -तुम्हारी बेटी मुस्कान
सिस्टम से सवाल पूछ रही मासूम 'मुस्कान' की पाती ने लोगों को बेटी के बारें में सोचने पर विवश कर दिया है। खामोश बैठी सामाजिक संस्थाओं ने अपनी हलचल शुरू कर दी है। मानव सेवा क्लब के अध्यक्ष सुरेंद्र बीनू सिन्हा सदस्य कल्पना सक्सेना के साथ गुरुनानक अस्पताल पहुंचे। उनकी 'मुस्कान' से मुलाकात नहीं हो सकी। उनका कहना है कि बच्ची की जो भी मदद हो सकेगी वह करेंगे। बच्ची को उसके सही माता पिता तक पहुंचाने के लिए प्रयास करेंगे। इस मामले में अन्य सामाजिक संस्थाओं ने भी अस्पताल पहुंच कर बच्ची की मदद करने का आश्वासन दिया है।
रोटरी क्लब भी आएगा आगे
बच्ची की जान बचाने सहित उसे उसके माता पिता से मिलाने के लिए रोटरी क्लब भी आगे आएगा। रोटरी क्लब के डिस्ट्रक्ट गवर्नर किशोर कठरू ने कहा कि वह बच्ची का हाल जानने अस्पताल जाएंगे। इसके साथ ही जो भी संभव हो सकेगा वह उसकी मदद करेंगे।
छोटी सी आशा करेगी मदद बरेली
छोटी सी आशा संस्था ने बच्ची की दवा का इंतजाम करने की बात क हीं है। संस्था की अध्यक्ष पारुल मलिक ने डॉ. मनित सलूजा से मुलाकात की। इसके साथ ही उन्होंने डॉ. से दवा, इंजेक्शन आदि की व्यवस्था करने की बात कहीं है।
अस्पताल प्रशासन व परिजन आमने-सामने
गुरुनानक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही मुस्कान को लेकर अस्पताल प्रशासन और परिजन आमने सामने आ गए हैं। अस्पताल के चिकित्सक का कहना है कि वह लड़की का ही इलाज कर रहे हैं। जबकि परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन लड़के का इलाज कर रहा था।
अस्पताल में परिजनों ने जिस मासूम को भर्ती कराया था वह लड़का था। अस्पताल प्रशासन भी लड़के का ही इलाज कर रहा था। मासूम के चाचा राजेंद्र कुमार का दावा है कि अस्पताल प्रशासन ने जांच कराने के दौरान पर्चे में लड़का ही लिखा था और लड़के का ही इलाज चल रहा था। वहीं अस्पताल में इलाज कर रहे डॉ. मनित सलूजा का कहना है कि उन्होंने जिस नवजात को भर्ती किया था वह लड़की ही थी। उसको बेबी ऑफ ममता के नाम से ही भर्ती किया गया था। उन्होंने परिजनों के भ्रमित होने की बात कही है।
इसलिए नहीं चल सका पता
भर्ती कराने वाले परिजनों का कहना है बच्चे की हालत बहुत ज्यादा सीरियस थी जैसे ही अस्पताल में लाए वैसे ही बच्चे को एनआइसीयू में भर्ती कर लिया गया था। इसके अलावा पूरे इलाज के दौरान वह दूर से ही बच्चे को टैग नंबर से देखते थे। इसके अलावा बच्चे को नैपी पैड पहना रखा था। जब उन्होंने छुट्टी कराई तब उन्हें अस्पताल प्रशासन ने बच्ची दी।
सेप्टीसीमियां का खतरा है बच्ची को
गुरुनानक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही मासूम मुस्कान के लिए नर्सरी मतलब एनआइसीयू बेहतर है। क्योंकि बच्ची को सेप्टीसीमियां होने का खतरा है। यह अंदेशा जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डाॅ. सौरभ ने जताया है।
बच्ची का स्वास्थ्य परखने अस्पताल पहुंचे डाॅ. सौरभ ने बताया कि बच्ची को संक्रमण (इनफेक्शन) है। रिपोर्ट में सीरिएक्टिव प्रोटीन पॉजिटिव आ रहा है। इसके अलावा उसकी प्लेटलेट्स भी घट रही है। वजन भी कम है। सेप्टीसीमियां होने का खतरा अधिक है। इसके लिए नर्सरी यानि एनआइसीयू की आवश्यक्ता है, बच्ची को अभी यथास्थान रखने की जरूरत हैं। गौरतलब है कि बाल कल्याण समिति के मजिस्ट्रेट डा. डीएन शर्मा ने महिला चिकित्सालय की सीएमएस को बच्ची के स्वास्थ्य परीक्षण कराने के आदेश दिए थे।
बच्ची को इलाज की सख्त आवश्यक्ता
गुरुनानक अस्पताल के डॉ. मनित सलूजा ने कहा कि अभी बच्ची को नर्सरी में ही भर्ती रखना होगा। क्योंकि इसे इलाज की सख्त आवश्यक्ता है। ब्लड की आवश्यकता आइएमए के ब्लड़ बैंक के सहयोग से पूरी हो गई। जरूरत दवाओं और इंजेक्शन की पड़ती है।
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