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लाेगाें की जेब पर डाका डालने वाले साइबर अपराधियों से निपटेगी बरेली पुलिस, होगी हाईटेक, सीखेगी साइबर अपराध से निपटने के गुर

Cyber Crime Training साइबर अपराध की मामलों की बाढ़ सी आ गई है। ठग नए-नए पैंतरे अपनाकर लोगों का खाता साफ कर रहे हैं। अंदाजा लगा सकते हैं कि 2021 में 25 अगस्त तक साइबर अपराध के 678 मामले दर्ज किये जा चुके हैं।

By Ravi MishraEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 08:57 AM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 08:57 AM (IST)
लाेगाें की जेब पर डाका डालने वाले साइबर अपराधियों से निपटेगी बरेली पुलिस, होगी हाईटेक, सीखेगी साइबर अपराध से निपटने के गुर
Cyber Crime Training : लाेगाें की जेब पर डाका डालने वाले साइबर अपराधियों से निपटेगी बरेली पुलिस

बरेली, जेएनएन। Cyber Crime Training : साइबर अपराध की मामलों की बाढ़ सी आ गई है। ठग नए-नए पैंतरे अपनाकर लोगों का खाता साफ कर रहे हैं। अंदाजा लगा सकते हैं कि 2021 में 25 अगस्त तक साइबर अपराध के 678 मामले दर्ज किये जा चुके हैं। बरेली वालों के ठग एक करोड़ 78 लाख रुपये उड़ा चुके हैं। इसमे 23 लाख रुपये ही साइबर टीम लोगों के वापस कराने में कामयाब हुई है। ऐसे में विवेचना में तेजी लाने के लिए अब विवेचकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

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साइबर अपराध के मामलों में 2019 से ही वृद्धि देखी गई। लिहाजा, भविष्य में साइबर अपराध की चुनौतियां से निपटने के लिए साल 2019 में तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह के आदेश पर जिलों में साइबर सेल की स्थापना हुई। साइबर सेल की स्थापना के बाद आइटी एक्ट से जुड़े मामले की सुनवाई साइबर सेल में होने लगी। बावजूद लगातार बढ़ते साइबर क्राइम के मामलों के बाद रेंज स्तर पर परिक्षेत्रीय साइबर थानों की स्थापना की गई। बरेली में परिक्षेत्रीय साइबर थाना बना। थानों में मुकदमे के बाद एक लाख या इससे ऊपर से जुड़े साइबर ठगी मामलों की सुनवाई परिक्षेत्रीय थाने में शुरू हुई। साइबर अपराध से निपटने के लिए दो अलग-अलग टीमें होने के बाद भी आइटी एक्ट के मुकदमों के निस्तारण में देरी हो रही है। लोगों को रकम वापस नहीं मिल पा रही है।

पर्याप्त स्टाफ व प्रशिक्षण की कमी

परिक्षेत्रीय साइबर थाना व साइबर सेल की स्थापना तो हुई लेकिन, पर्याप्त स्टाफ कार्यालय में नहीं हैं। स्टाफ की कमी के साथ साइबर अपराध से निपटने में सबसे बड़ी दिक्क्त विवेचकों का प्रशिक्षित न होना है। आइटी एक्ट के मुकदमों की विवेचना इंस्पेक्टर स्तर से होती है। हाल में ही साइबर अपराध से जुड़ी कार्यशाला में सामने आया कि विवेचक साइबर अपराध से निपटने को लेकर प्रशिक्षित ही नहीं हैं। जिसके बाद विवेचकों को प्रशिक्षित किये जाने का निर्णय लिया गया। बकायदा ट्रेनिंग सेशन आयोजित कर विवेचकों को साइबर अपराध से निपटने के बारे में जानकारी दी जाएगी।

यह सामने आया सुझाव

साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक, साइबर ठग ठगी की रकम अलग-अलग खातों में भेजते हैं। यह रकम गैर प्रांत के खातों में भेज दी जाती है। ऐसे में संबंधित खातों के बारे में जानकारी आसान नहीं होती। हाल में हुई कार्यशाला में यह सुझाव सामने आया कि यदि संबंधित स्थानों की पुलिस आरोपितों का पता लगाने में मदद करें। तो निश्चित रूप से साइबर ठगों को आसानी से पकड़ा जा सकता है।

बैंक की बनें 24 घंटे के लिए अलग हेल्पलाइन

हाल में ही आगरा में आयोजित हुई बैठक में साइबर एक्सपर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि बैंक की अलग से 24 घंटे संचालित होने वाली हेल्पलाइन बनें। इसमें सभी बैंकों से संबंधित जानकारी पुलिस द्वारा मांगे जाने पर तुरंत दी जाए। इससे लोगों के खाते से रकम निकलने पर तत्काल प्रभाव से एक्शन किया जा सकता है। लेन-देन पर रोक लगाई जा सकती है।

साइबर ठगी पर 155260 पर करें काल

यदि आप साइबर ठगी का शिकार होते हैं तो तत्काल हेल्पलाइन नंबर 155260 पर काल कर शिकायत दर्ज कराएं। हेल्पलाइन तुरंत ही संबंधित साइबर पुलिस से जानकारी साझा कर कार्रवाई के लिए निर्देशित करेगी।

साइबर अपराधों से जुड़े मामलों के निस्तारण में तेजी के लिए विवेचकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसकी रुपरेखा तैयार कर ली गई है। जल्द ही ट्रेनिंग सेशन आयोजित कराया जाएगा। - रमित शर्मा, आइजी रेंज


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