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    CRPF कैंप हमला मामला: जंग बहादुर रिहा, मुहम्मद शरीफ जुर्माना न जमा करने पर अभी जेल में

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 08:14 PM (IST)

    रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हमले के दोषी जंग बहादुर को रिहा कर दिया गया है, जबकि मुहम्मद शरीफ जुर्माना न भर पाने के कारण अभी भी जेल में है। 2007 में हुए इस हमले में सात जवान शहीद हुए थे। निचली अदालत ने शरीफ को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में उच्च न्यायालय ने बदल दिया था। उच्च न्यायालय ने जुर्माना बरकरार रखा, लेकिन शरीफ के जुर्माना भरने में असमर्थ रहने के कारण वह अभी भी जेल में है।

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    जागरण संवाददाता, बरेली। रामपुर के सीआरपीएफ कैंप पर आतंकी हमला करने वाले जंग बहादुर उर्फ बाबा को बरेली सेंट्रल जेल से रिहाई मिल गई। उसके साथ सजा काट रहे मुहम्मद शरीफ को जुर्माना की धनराशि जमा नहीं होने के कारण अभी जेल में रहना होगा। जुर्माने के 20 हजार रुपये जमा होने के बाद उसे भी रिहा किया जाएगा। देर शाम जंग बहादुर के स्वजन उसे अपने साथ ले गए।

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    वर्ष 2007 में सीआरपीएफ कैंप पर आतंकी हमला हुआ था। जिसमें सात जवान बलिदान हुए थे जबकि एक रिक्शा चालक की मौत हुई थी। पांच अन्य घायल हुए थे। आतंकवादियों ने कैंप पर गोलीबारी के साथ ही ग्रेनेड फेंके थे। आतंकी हमले के आरोपितों को वर्ष 2019 में रामपुर के अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने रामपुर निवासी मोहम्मद शरीफ, बिहार के सबाउद्दीन उर्फ सहाबुद्दीन, कश्मीर के इमरान शहजाद और पाकिस्तान के मोहम्मद फारूख को मौत की सजा सुनाई थी।

    मुरादाबाद के जंग बहादुर खान उर्फ बाबा को उम्रकैद की सजा हुई थी। मोहम्मद कौसर और गुलाब खान को बरी कर दिया था। इस आतंकी हमले का मुख्य साजिशकर्ता लश्कर का आतंकी सैफुल्लाह 18 मई को पाकिस्तान में मारा जा चुका है। बाकी के सभी आरोपित फरवरी 2008 से जेल में ही बंद थे। इसमें से जंगबहादुर व मुहम्मद शरीफ को बरेली सेंट्रल जेल भेजा गया बाकी के सभी दोषियों को लखनऊ जेल में निरुद्ध किया था। इसी साल इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 29 अक्टूबर को निचली अदालत के सुनाए गए फैसले को पलट दिया।

    दोषियों की मौत और उम्रकैद की सजा रद कर दी थी, लेकिन शस्त्र अधिनियम की धारा 25 में 10 साल की कैद व प्रत्येक को एक लाख रुपये जुर्माने की सजा बरकरार रखी थी। कोर्ट के सजा को समोजित करने का निर्णय दिया था इसके हिसाब से दोषियों को अब रिहा होना था। शनिवार को सेंट्रल जेल में ई-मेल के माध्यम से परवाना भेजा गया लेकिन, कोई ने उसे अमान्य कर दिया।

    इसके बाद रविवार को जेल से आदेश की फोटो कापी भेजी गई जेल प्रबंधन ने उसे भी अमान्य माना। मामले में जेलर नीरज कुमार ने बताया कि सोमवार को स्वयं जेल का एक सिपाही रामपुर गया वहां मुहम्मद शरीफ पर लगे जुर्माने की 20 हजार धनराशि को जमा कराना था जो कोर्ट में नहीं हो सकी। इसलिए सोमवार को केवल जंग बहादुर उर्फ बाबा को ही रिहा किया गया है। मुहम्मद शरीफ की जुर्माना राशि जमा होने के बाद उसे भी रिहा किया जाएगा।