पैगंबर-ए-इस्लाम के दौर में मस्जिद में नमाज भी पढ़ती थीं महिलाएं : मौलाना शहाबुद्दीन
औरतों को मस्जिद में नमाज पढऩे की इजाजत मिले। सुप्रीमकोर्ट में इस मांग वाली याचिका पर अदालत के संज्ञान लेने के बाद उलमा में मंथन शुरू हो गया है।
जेएनएन, बरेली : औरतों को मस्जिद में नमाज पढऩे की इजाजत मिले। सुप्रीमकोर्ट में इस मांग वाली याचिका पर अदालत के संज्ञान लेने के बाद उलमा में मंथन शुरू हो गया है। तंजीम उलमा-ए-इस्लाम इस मामले में कानूनी सलाह ले रही है, ताकि कोर्ट में अपना पक्ष रखा जा सके। तंजीम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बुधवार को बयान जारी कर यह बातें कही हैं। मौलाना ने कहा कि महिलाओं के मस्जिद में जाने पर पाबंदी नहीं है। पैगंबर-ए-इस्लाम के दौर में महिलाएं मस्जिद में नमाज भी पढ़ती थीं। बाद में कुछ शिकायतें सामने आईं। तब हजरत उमर फारूक के दौर में औरतों के मस्जिद में नमाज पढऩे पर रोक लगाई गई थी। बहरहाल, अभी तंजीम कानून के जानकारों से याचिका के बिंदुओं का अध्ययन करा रही है।
उन्होंने कहा कि यह शरई मामला है। अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है। सरकार को चाहिए कि इस संबंध में उलमा-ए-कराम की राय ले। क्योंकि तीन तलाक से ध्यान भटकाने के लिए यह मुद्दा उछाला गया है। तंजीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने की तैयारी कर रही है।