Corona Worrior बोले- इस समय मरीज परिवार... और अस्पताल घर-द्वार
चिकित्सकीय सेवा में लगे ये योद्धा कहते हैं कि मरीज ठीक हो जाएं उनके लिए यही बड़ी उपलब्धि है। परिवार से बाद में मिल लेंगे पहले इन्हें ठीक कर लें।
बरेली, अशोक आर्य। बुजुर्ग मां-पिता हैं। उन्हें तीनों वक्त दवा की जरूरत होती है... पता नहीं तीनों टाइम वक्त पर दवा ले पाते होंगे या नहीं। जिला अस्पताल के डॉक्टर बागीश वैश्य उनके बारे में सोचते हैं, मन भारी होता है तो उधर से ध्यान हटा लेते हैं। और नर्स सोनिया मसीह... उनके पति व बच्चों को तो खाना बनाना भी नहीं आता है। इन दिनों वे दोनों पेट भरने के लिए कभी चावल पकाकर पेट भर लेते हैं तो कभी खिचड़ी खाकर। फोन पर यह सब सुनने वाली सोनिया बस चंद शब्द बोल पाती हैं... कुछ दिन ऐसे ही चलाइए। जब तक परिवार वालों से बात होती है, तब तक चिंता सताती है। सुबह होती है तो डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ के सामने नया परिवार होता है। उन छह लोगों का... जोकि कोरोना संक्रमित हैं। जिनके इलाज में वे दिनरात जुटे रहते हैं। कब खाना दिया जाना है, कब दवा, इसकी फिक्र करते हैं। पूरा दिन अस्पताल में रहकर उन्होंने इस परिसर को ही घर द्वार मान लिया। चिकित्सकीय सेवा में लगे ये योद्धा कहते हैं कि मरीज ठीक हो जाएं, उनके लिए यही बड़ी उपलब्धि है। परिवार से बाद में मिल लेंगे, पहले इन्हें ठीक कर लें।
एक महीने बाद लौट सकेंगे घर
कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे डॉ. बागीश वैश्य, नर्स सोनिया मसीह समेत सभी स्टाफ मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने के बाद से अपने घर नहीं जा पा रहे हैं। अस्पताल में संक्रमितों देखरेख करते हैं। इसके बाद एहतियातन उन्हें होटल में रहना होता है, घर नहीं भेजा जाता। तीस दिनों तक यही रूटीन रहेगा। परिवार के हालचाल सिर्फ फोन पर ही ले पाते हैं।
बुजुर्ग मां-बाप दिल के भी मरीज
कोरोना आइसोलेशन वार्ड में लगी स्वास्थ्य विभाग की टीम के इंचार्ज डॉ. वागीश वैश्य स्टेट बैंक कॉलोनी में रहते हैं। घर में पत्नी, दो बच्चों के साथ ही बुजुर्ग माता-पिता भी हैं। डॉ. वागीश ने बताया कि माता-पिता दोनों दिल के मरीज हैं। उनकी लगातार दवा चलती है। घर जाना नहीं हो पा रहा, जिस कारण पता भी नहीं की दवा है या नहीं। सिर्फ पत्नी को फोन करके उनका हाल ले लेते हैं।
चंद कदम दूरी घर, फिर भी होटल में क्वारंटाइन
सिस्टर इंचार्ज सोनिया मसीह का आवास तो चंद कदम की दूरी पर अस्पताल परिसर में ही है। फिर भी घर नहीं जा सकती। खुद क्वारंटाइन हैं। बताती हैं, परिवार में पति और दो बच्चे हैं। जब से लगातार ड्यूटी कर रही हूं, घर में सुबह और शाम चावल ही बन रहा है। रोटी किसी से बनाई नहीं जाती।
मरीजों की सेवा में जुटी यह टीम
कोरोना वार्ड में मरीजों की सेवा में तीन शिफ्ट में डॉक्टर, नर्स व वार्ड ब्वाय ड्यूटी कर रहे हैं। इसमें डॉ. वागीश वैश्य, डॉ़. संजय ङ्क्षसह, डॉ. एमपी ङ्क्षसह, नर्स सोनिया, प्रोमिला, निशि, लिली, नीरजा, सादिया, मंजू, संगीता और वार्ड ब्वाय देवदत्त, राजेंद्र, मनोज, राजेंद्र कुमार, विजय लगे हुए हैं।