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कोरोना काल ने बदल दिया सुमन की जिंदगी का मकसद, अब लोगों के माथे से अंगूठा छाप होने का साफ कर रही हैं दाग

कोरोना संक्रमण के दौरान बच्चे स्कूल नहीं जा सके। उनकी पढ़ाई चालू रखने के लिए सरकार ने ई-पाठशाला शुरू की। मगर कई ऐसे बच्चे भी थे जिनके परिवार वालों के पास स्मार्ट मोबाइल फोन नहीं थे। उनकी मां स्कूल में काम लेने आती थी। वर्कशीट लेती और अंगूठा लगाकर जाती।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 01:10 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 04:55 PM (IST)
कोरोना काल ने बदल दिया सुमन की जिंदगी का मकसद, अब लोगों के माथे से अंगूठा छाप होने का साफ कर रही हैं दाग
कोरोना संक्रमण के दौरान बच्चे स्कूल नहीं जा सके।

अशोक आर्य

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बरेली, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के दौरान बच्चे स्कूल नहीं जा सके। उनकी पढ़ाई चालू रखने के लिए सरकार ने ई-पाठशाला शुरू की। मगर कई ऐसे बच्चे भी थे, जिनके परिवार वालों के पास स्मार्ट मोबाइल फोन नहीं थे। उनकी मां स्कूल में काम लेने आती थी। वर्कशीट लेती और अंगूठा लगाकर जाती। महिलाओं को अंगूठा लगाते देख शिक्षिका सुुमन वर्मा का मन व्यथित हो गया । फिर महिलाओं को पढ़ाने की मुहिम शुरू कर दी। घर-घर जाकर महिलाओं को उनका नाम लिखना सिखाया। छह महीने में ही कई महिलाओं के माथे से अंगूठा छाप का दाग साफ हो गया है। अब वह अंगूठा नहीं लगाती, बल्कि शान से अपना नाम लिखती हैं।

गांवों में निरक्षर महिलाओं के चमन में अक्षरों के सुमन खिलाने वाली सुमन वर्मा भोजीपुरा के पुर्नापुर प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका के पद पर तैनात हैं। लॉकडाउन के दौरान इन्होंने गांवों में घूमकर महिलाओं व बच्चों को पेंसिल, रबर, कटर, पेन, कॉपी-किताब आदि सामान बांटा। गांवों की महिलाओं को साक्षर बनाने के लिए रोजाना स्कूल के बाद आसपास के गांवों में पहुंचकर हस्ताक्षर करना सिखाया। कॉपी पर अपने सामने महिलाओं से उनका नाम लिखाने की कई बार प्रैक्टिस भी कराई। सुमन वर्मा बताती हैं कि ताज्जुब तो उस समय हुआ, जब यह देखा कि बुजुर्ग महिलाओं के साथ ही कम उम्र की कई महिलाओं को भी पढ़ना-लिखना नहीं आता था। उन्होंने थोड़े प्रयास से ही नाम लिखना सीख लिया। उन्होंने बताया कि अब तक करीब सौ महिलाओं को नाम लिखना सिखाया है। पूरे गांव को साक्षर बनाने की इच्छा है। इसके लिए काम शुरू कर दिया है।

महिलाओं को मिशन शक्ति से कर रही जागरूक

सुमन वर्मा महिलाओं को मिशन शक्ति के प्रति भी जागरूक कर रही हैं। गांवों में जाकर महिलाओं को अपने हाथ से बने पोस्टर बांट रही हैं। इन पोस्टर के जरिए नारी सुरक्षा, नारी सम्मान, नारी स्वावलंबन के बारे में उन्हें बता रही हैं। इसके साथ ही वूमेन पावर लाइन, महिला हेल्पलाइन, चाइल्ड लाइन, स्वास्थ्य सेवा, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, पुलिस आपातकालीन सेवा, एंबुलेंस सेवा के नंबर भी पोस्टर में लिखकर दे रही हैं।

करीब बीस गांवों में चला रही अभियान 

शिक्षिका ने पुर्नापुर के साथ ही आसपास के करीब बीस गांवों को बतौर लक्ष्य लिया है। वह यहां की सभी महिलाओं को साक्षर बनाने पहुंच रही हैं। पुर्नापुर के साथ ही कासमपुर, खतौला गनपतराम समेत अन्य गांवों की कई महिलाओं को नारी सशक्तिकरण का पाठ भी इन शिक्षिका ने पढ़ाया है। इसके साथ ही महिलाओं को मासिक धर्म में साफ-सफाई की महत्ता के बारे में बता रही है। सेनेटरी पैड का निश्शुल्क वितरण भी कर रही हैं। सरकार की योजनाओं की जानकारी भी दे रही हैं। बच्चों को गुड और बैड टच के बारे में भी लगातार जागरूक कर रही हैं।


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