पिता के हक के लिए लड़ रहे बुजुर्ग भाई-बहन ने जीती लड़ाई, उपभोक्ता आयोग ने पक्ष में सुनाया फैसला
जहीर अहमद ने जुलाई वर्ष 2001 में 10-10 हजार के 20 किसान बचत पत्र यूनियन बैंक आफ इंडिया से खरीदे। अक्टूबर 2008 में दो लाख की राशि परिपक्व होकर 4 लाख रुपए हो गई। इस बीच जहीर अहमद का इंतकाल हो गया।
बरेली, जागरण संवाददाता। पिता के हक के लिए दो बुजुर्ग भाई-बहन कानूनी लड़ाई लड़ते रहे। अंत में उपभोक्ता आयोग ने उन्हें उनका हक दिला दिया। आयोग ने न सिर्फ उन्हें उनका पैसा दिलवाया बल्कि मुकदमे में खर्च की गई रकम भी उन्हें दिलवाई गई।
बाजार संदल खां के अदील अहमद की उम्र 62 साल है। जबकि गढ़ैया की रहने वाली उनकी बड़ी बहन गजाला वसीम 67 साल की हैं। पिता जहीर अहमद ने जुलाई वर्ष 2001 में 10-10 हजार के 20 किसान बचत पत्र यूनियन बैंक आफ इंडिया से खरीदे। अक्टूबर 2008 में दो लाख की राशि परिपक्व होकर 4 लाख रुपए हो गई। इस बीच जहीर अहमद का इंतकाल हो गया। बैंक ने जहीर अहमद की पत्नी सरदार जहां को भुगतान करने से इन्कार कर दिया। मृतक की पत्नी करीब सात साल तक बैंक एवं डाकखाना से पत्राचार करती रहीं लेकिन डाक विभाग नहीं पसीजा।
वर्ष 2015 में सरदार जहां की भी मौत हो गई। आरटीआई से सूचना मांगने पर विपक्षी बैंक ने जवाब दिया कि बात पुरानी हो चुकी है। इस संबंध में कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। रिकार्ड बीड हो चुका है। इसलिए भुगतान करना संभव नहीं। मां-बाप की मौत के बाद अदील अहमद व गजाला वसीम दोनों भाई बहन ने अपनी मां की अधूरी लड़ाई अंजाम तक पहुंचाने की ठानी। दोनों ने मिलकर वर्ष 2019 में उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। उपभोक्ता आयोग-प्रथम के अध्यक्ष घनश्याम पाठक, सदस्य महावीर सिंह व मुक्ता गुप्ता ने पीड़ित भाई-बहन को किसान बचत पत्र की कुल रकम चार लाख रुपए के साथ चार हजार रुपए मुकदमा खर्च भी दिलाने के आदेश दिए हैं। वर्ष 2008 से भुगतान की तिथि तक डाक विभाग द्वारा समय-समय पर निर्धारित ब्याज दर के आधार पर कुल रकम पर ब्याज भी अदा करेगा।