अंग्रेजी की कमजोरी से काबिलियत पर सवाल
भावी इंजीनियरों की काबिलियत पर कोई शक नहीं है। वे तकनीकी तौर पर बेहद हुनरमंद हैं, मगर इंटरव्यू के दौरान अपनी बात ढंग से नहीं रख पाते हैं। इस वजह से जॉब नहीं मिल पाती।
जागरण संवाददाता, बरेली : भावी इंजीनियरों की काबिलियत पर कोई शक नहीं है। वे तकनीकी तौर पर बेहद हुनरमंद हैं, मगर इंटरव्यू के दौरान अपनी बात ढंग से नहीं रख पाते हैं। इस वजह से जॉब नहीं मिल पाती। देश में आइआइटी से लेकर बाकी इंजीनिय¨रग संस्थानों के सामने कम्युनिकेशन सबसे बड़ी समस्या है। इसे दूर करने को अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाएं। सही अंग्रेजी बोलने और लिखने का अभ्यास कराया जाए। आइआइटी रुड़की के प्रो. बृजेश कुमार कौशिक ने रुहेलखंड विश्वविद्यालय के सिलेबस अपडेट को लेकर आयोजित वर्कशॉप में ये बातें कहीं।
प्रो. कौशिक ने कहा कि देश के 90 फीसद इंजीनियर सिर्फ कम्युनिकेशन बाधा के चलते रोजगार पाने से वंचित रह जाते हैं। खासतौर से वो छात्र जो पिछड़े क्षेत्रों से आते हैं, उनमें कम्युनिकेशन बड़ी समस्या है। प्रो. कौशिक से सवाल किया गया कि क्या आइआइटी के छात्रों में भी यह समस्या है? उन्होंने जवाब दिया कि यहां भी पिछड़े क्षेत्रों से आने वाले छात्रों में कम्युनिकेशन की समस्या है। प्रो. कौशिक के अलावा भी कई प्रोफेसरों ने संवाद पर फोकस किया। एक सुर में यह राय रखी कि इसे सुधारने की जरूरत है, क्योंकि इसके बिना छात्र रिसर्च में पिछड़ रहे हैं। भाषा पर पकड़ न होने से नामी जनरल्स में उनके पेपर प्रकाशित नहीं हो पाते हैं। रुविवि में तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित इस कार्यशाला में दिल्ली, आइआइटी रुड़की समेत कई नामी संस्थानों के शिक्षकों ने भाग लिया। समन्वयक डॉ. मनोज कुमार सिंह ने बताया कि अच्छे इंजीनियर तैयार करने के लिए हर स्तर की समस्या दूर की जाएगी। सिलेबस में इसकी छाप दिखेगी।