प्रबंधन नहीं, शिक्षक तय करें कैसा चलाना है कॉलेज
इतिहास के पन्नों पर सफलता की सुनहरी दास्तां लिखकर, बदहाली के गर्त में फंसे बरेली कॉलेज ने अरसे बाद बदलाव की आहट महसूस की है।
जागरण संवाददाता, बरेली : इतिहास के पन्नों पर सफलता की सुनहरी दास्तां लिखकर, बदहाली के गर्त में फंसे बरेली कॉलेज ने अरसे बाद बदलाव की आहट महसूस की है। कमिश्नर रणवीर प्रसाद ने प्रबंधन के डर से सहमे प्रोफेसरों को न सिर्फ उनकी ताकत-भूमिका का एहसास कराया। बल्कि खुले शब्दों में कहा कि शैक्षिक संस्थान में सिर्फ शिक्षक तय करें कि उन्हें कॉलेज कैसे चलाना है। प्रबंधन या किसी बाहरी का दखल नहीं होना चाहिए। सोमवार को वह कॉलेज के प्रतिभा सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे।
कॉलेज पहुंचते ही कमिश्नर के तेवर, यहां के हालात से तल्ख हो गए। उनकी अगवानी के लिए प्रबंध समिति के पदाधिकारी आगे बढ़े। कमिश्नर ने पूछा प्राचार्य कहा हैं? प्राचार्य आगे आए, कमिश्नर उनसे बोले-आप फ्रंट पर रहिए। कॉलेज के बॉस आप ही हैं। मंच से अपनी बात शुरू करते हुए कमिश्नर ने कहा कि कॉलेज से पहली बार मैं तब रूबरू हुआ जब छात्रों ने मुझसे इसकी शिकायत की। दूसरी बार कर्मचारियों ने शिकायत की और उसके बाद अखबारों में जो कुछ पढ़ा।
शिक्षाविद चलाएं कॉलेज
कमिश्नर ने ऐतिहासिक कॉलेज के इस हश्र पर चिंता, नाराजगी दोनों जाहिर की। उन्होंने कहा कि शिक्षक तय करें कि उन्हें कैसा माहौल बनाना है। किसी बाहरी का कोई दबाव न मानें। प्राचार्य आगे बढ़कर अपनी भूमिका अदा करें। तभी इसका खोया गौरव वापस आएगा।
आइआइटी में नहीं कोई हस्तक्षेप
आइआइटी में अपनी पढ़ाई का हवाला देते हुए कहा कि वहां 80-90 फीसद बजट सरकार से मिलता है। फिर भी वहां किसी का दखल नहीं है। कॉलेज के लिए भी यूजीसी, रूसा समेत कई एजेंसियां हैं जहां से बजट लाकर शिक्षक इसे संवार सकते हैं।
ब्रांड एंबेसडर भी तो बन सकते
बजट के लिए कॉलेज किसी भी योजना का ब्रांड एंबेसडर बन सकता है। स्मार्ट सिटी में ऐसा किया जा सकता था। कार्यक्रम के बाद उन्होंने कॉलेज के बिजली बिल, शिक्षकों को बिजली मिलने की जानकारी ली। सवाल किया कि सोलर सिस्टम पर कॉलेज को क्यों नहीं लाते।
प्लेसमेंट के रिकॉर्ड पर खफा हुए
कॉलेज की प्रगति रिपोर्ट में गत वर्ष 200 छात्रों को जॉब दिलाने पर कहा कि जब यहां 50 हजार विद्यार्थी परीक्षा देते हैं तो फिर केवल दो सौ को जॉब। बाद में उन्होंने कहा कि प्लेसमेंट का अच्छा सेटअप बनाने पर कितना खर्च आएगा। एक शख्स ने कहा कि करीब 15 करोड़। कमिश्नर ने कहा ये कुछ भी नहीं है। इतना बजट शिक्षक ला सकते हैं। बोर्ड का सदस्य बनने के लिए 25 लाख रुपये का शुल्क रखें। इससे भी बजट मिलेगा।
डंडे वाला बॉस कौन है
चाय के दौरान कमिश्नर ने शिक्षकों से कॉलेज का हाल जाना। पूछा कि डंडे वाला बॉस कौन है जो सबको डरा रहा।
68 विद्यार्थियों को मिला सम्मान
प्रतिभा सम्मान समारोह के लिए करीब 95 विद्यार्थी चुने गए थे। इसमें करीब 65 पहुंचे, उन्हें पुरस्कृत किया गया। कमिश्नर ने हर साल आयोजन की बात कही।
ये लोग रहे मौजूद
संचालन डॉ. शुभ्रा कटारा ने किया। डॉ. वंदना शर्मा ने प्रगति रिपोर्ट पढ़ी। अध्यक्षता काजी अलीमुद्दीन ने की। इस दौरान प्राचार्य डॉ. अजय शर्मा, बोर्ड ऑफ कंट्रोल की सचिव डॉ. रजनी अग्रवाल, प्रबंध समिति के निवर्तमान सचिव देवमूर्ति, डीएसडब्ल्यू डॉ. राजीव मेहरोत्रा, डॉ. पूर्णिमा अनिल, डॉ. आलोक खरे समेत शिक्षक, विद्यार्थी व बोर्ड ऑफ कंट्रोल और प्रबंधन के सदस्य रहे।