Move to Jagran APP

पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं, दाखिले को बेचैन

रुहेलखंड में उच्च शिक्षा का हश्र बीएससी फाइनल ईयर के रिजल्ट से समझिए।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 05:24 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 05:24 PM (IST)
पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं, दाखिले को बेचैन
पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं, दाखिले को बेचैन

जागरण संवाददाता, बरेली : रुहेलखंड में उच्च शिक्षा का हश्र बीएससी फाइनल ईयर के रिजल्ट से समझिए। बीएससी में केवल 39 फीसद छात्र-छात्राएं पास हुए हैं, जबकि 61 प्रतिशत फेल हो गए। ऐसा केवल परीक्षा में सख्ती की वजह से नहीं हुआ, बल्कि कॉलेजों में पढ़ाई की तस्वीर बदरंग है। हकीकत जानकर दंग रह जाएंगे। बरेली-मुरादाबाद मंडल के 525 डिग्री कॉलेज इस वक्त स्नातक और परास्नातक कोर्स में दाखिले की सुस्ती से बेचैन हैं। उनमें सैकड़ों कॉलेजों के पास पढ़ाने के लिए योग्य तो दूर पर्याप्त फैकल्टी तक उपलब्ध नहीं है। मुख्य परीक्षा के दरम्यान जब कुलपति ने परीक्षा केंद्रों पर छापेमारी की तो दर्जनों कॉलेजों में विवि से अनुमोदित शिक्षक और प्राचार्य नहीं मिले।

loksabha election banner

कॉलेजों में शिक्षकों की किल्लत की अब दूसरी तस्वीर देखिए। शैक्षिक सत्र 2017-18 में कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ल ने कॉलेजों से शिक्षकों का डाटा आधार नंबर के साथ मांगा। शुरुआत में कॉलेजों ने आनाकानी की। सख्ती हुई तो डिटेल दी। करीब सौ से ज्यादा कॉलेजों में प्राचार्य और शिक्षक अनुमोदित नहीं थे। रिपोर्ट देखकर अधिकारी भी हैरत में पड़ गए। तत्काल फैकल्टी नियुक्त करने की हिदायत जारी हुई। तब परीक्षा से करीब चार महीने पहले शिक्षक अनुमोदन की प्रक्रिया शुरू हुई, जो मुख्य परीक्षा तक जारी रही। इसमें एक-एक कॉलेज ने 15 से 20 शिक्षक तक रखने के लिए आवेदन किया था।

बगैर पढ़ाई पास कैसे होंगे

कॉलेजों में शिक्षक नहीं, प्रैक्टिकल के लिए लैब, संसाधन नहीं। जहां शिक्षक हैं भी वहां छात्र पढ़ने नहीं आते। विवि प्रशासन का तर्क है कि बगैर पढ़ाई लिखाई कैसे पास होंगे। कम से कम अब तो हरगिज नहीं, क्योंकि नकल किसी भी सूरत में नहीं चलेगी।

वेतन बचाने का सारा खेल

अमूमन हर साल 80-90 निजी कॉलेज ऐसे हैं, जो परीक्षा से दो-तीन महीने पहले शिक्षक रखने की फिक्र करते हैं। विवि प्रशासन भी यह स्वीकारता है कि कई निजी कॉलेज वेतन बचाने के चक्कर में पूरे साल शिक्षक नहीं रखते हैं। यह दुखद है। पढ़ाई का माहौल बनाना कॉलेजों की पहली जिम्मेदारी है।

शासन का फरमान, पढ़ाई का बनाएं माहौल

कॉलेजों में शिक्षकों की किल्लत पर कुलपति प्रोफेसर अनिल शुक्ल कहते हैं कि कॉलेजों को यह सुनिश्चित करना होगा कि छात्रों के अनुपात में शिक्षक नियुक्त करें। प्रदेश के सभी विवि में समान पाठ्यक्रम की प्रक्रिया चल रही है। मैं भी इसका हिस्सा हूं। शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि कॉलेजों में छात्रों के मुकाबले पर्याप्त शिक्षक रखे जाएं। छात्र-शिक्षक नियमित क्लास में आएं। अच्छी पढ़ाई-लिखाई हो। औचक छापेमारी कर इसकी जांच भी होगी। अब पढ़ाई के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं है, न शासन के स्तर पर न ही विवि स्तर पर। जल्द शिक्षक नियुक्त करने का निर्देश जारी होगा।

--------

सलाह

दाखिला लेने के वक्त जानें पढ़ाई की स्थिति

रुविवि के प्रोफेसर एके जेटली कहते हैं कि छात्र स्नातक या परास्नातक में दाखिला लेते वक्त कॉलेज में जाकर सीनियर छात्रों से बात करें। यह देखें कि कॉलेज में शिक्षक हैं या नहीं। बीएससी के छात्रों के लिए लैब और संसाधन हैं, लाइब्रेरी है या नहीं। पढ़ाई कैसी होती है, इसकी जानकारी लें। फिर यह समझें कि कॉलेज जो सुविधाएं दे रहा है कि उसके एवज में फीस ज्यादा तो नहीं है। इसके बाद ही प्रवेश लें। दूसरी बात यह कि अब छात्र भी बगैर स्कूल आए, पढ़े डिग्री लेने की इरादा छोड़ दें। इससे आपका ही भविष्य खराब होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.