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रत्ती भर भी फ्रिक नहीं, बाहरी हाथों में कलेक्ट्रेट का रिकॉर्ड

जेएनएन, बरेली : कलेक्ट्रेट अभिलेखागार से फाइल निकालकर सौ बीघा जमीन को हड़पने के लिए सफेदा लगाकर मनमाना आदेश कर लिया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 01:18 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 01:18 AM (IST)
रत्ती भर भी फ्रिक नहीं, बाहरी हाथों में कलेक्ट्रेट का रिकॉर्ड
रत्ती भर भी फ्रिक नहीं, बाहरी हाथों में कलेक्ट्रेट का रिकॉर्ड

जेएनएन, बरेली : कलेक्ट्रेट अभिलेखागार से फाइल निकालकर सौ बीघा जमीन को हड़पने के लिए सफेदा लगाकर मनमाना आदेश कर लिया गया। एडीएम सिटी ओपी वर्मा ने सोमवार को मामला पकड़ लिया। उन्होंने अभिलेखागार के बाबुओं को बुलाकर उनसे पूछताछ की। हड़काया भी। मंगलवार को 'जागरण' ने पड़ताल की तो साफ हुआ कि कर्मचारियों के रवैये में रत्ती बराबर भी बदलाव नहीं आया। बाहरी लोग अभिलेखागार से जमीनों का बेशकीमती रिकॉर्ड निकालकर कलेक्ट्रेट के बाहर ले जाते दिखाई दिए। यहां लगाए गए सीसीटीवी कैमरे भी खराब थे, जो हाल ही में कमिश्नर के दौरे से पहले ठीक कराए गए हैं। एक रुपये में रिकॉर्ड का मुआयना

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बरसों से एक रुपये का टिकट लगाकर सादे कागज पर नकल सवाल डाला जाता है। उसके बाद अभिलेखागार में रखी खतौनी, फाइल या नक्शे का मुआयना किया जा सकता है। नकल चाहिए तो वह भी तत्काल में सात रुपये और एक-दो दिन बाद पांच रुपये में मिल जाती है। बाहर की दुकानों पर होती है फोटो स्टेट

अभिलेखागार में एक अदद मशीन की व्यवस्था नहीं की जा सकी है, जिससे नकल सवाल डालने के बाद आवेदक को फोटो स्टेट कराकर दी जा सके। उसके लिए खतौनी के बस्ते प्रतिदिन कलेक्ट्रेट से बाहर जाते हैं। वहां दुकानों पर फोटो स्टेट होती है। बेशकीमती रिकॉर्ड की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है। सुबूत सौ बीघा जमीन का फर्जीवाड़ा के तौर पर सामने आ चुका है। फिर भी अमले का रवैया नहीं बदल सका है। शहर की जमीनों के रिकॉर्ड से पन्ने गायब

शहर से सटे गांवों की खतौनी के पन्ने फटे होने की शिकायतें अकसर सामने आती रहती हैं। आरोप लगते हैं कि मुआयने के दौरान जमीन को खुर्द-बुर्द करने के लिए पन्ने फाड़ दिए गए हैं। रिकॉर्ड के मुआयने में अभी तक ऐसी व्यवस्था नहीं बन सकी है, जिससे ऐसा करने वाले पर नजर रखी जा सके। कैमरे लगे जरूर लेकिन लंबे समय से खराब चल रहे थे। सात जनवरी को जब कमिश्नर मुआयने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचे तो उन्हें ठीक कराया गया। नहीं हो सका डिजिटाइजेशन

पुराने रिकॉर्ड को सहेजने के लिए शासन स्तर से डिजिटाइजेशन का काम शुरू कराया गया था। इसके लिए एक एजेंसी तय होने के बाद उसे रिकॉर्ड दिया भी गया लेकिन वह काम आधा-अधूरा करने के बाद चली गई। कमिश्नर के मुआयने में अभिलेखागार की स्थिति खराब पाई गई। वर्जन

कलेक्ट्रेट अभिलेखागार से अगर बाहरी लोग रिकॉर्ड ले जा रहे हैं तो कार्रवाई होगी। रिकॉर्ड सहेजने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

वीरेंद्र कुमार सिंह, डीएम


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