खाद्य संकट से बचने के लिए फौरीतौर पर बदलने होंगे खेती के तरीके
जनवरी में विकट सर्दी पड़ती थी। इस साल जनवरी का मौसम बिल्कुल अलग है।
जेएनएन, बरेली : जनवरी में विकट सर्दी पड़ती थी। इस साल जनवरी का मौसम बिल्कुल अलग है। दिन के मौसम में गर्माहट बनी रही। कोहरा और पाला भी नजर नहीं आया। ऐसा मौसम रबी की फसल के लिए शुभ संकेत नहीं है, बल्कि उत्पादन दर कम करेगा। कृषि वैज्ञानिक भी इससे आशंकित हैं। मौसम का यह रुख जलवायु परिवर्तन की देन है। पूरी दुनिया इससे चिंतित है। खेतीबाड़ी पर इसका प्रभाव सामने आने लगा है, जो भविष्य में खाद्य संकट की चुनौती पैदा कर सकता है। ऐसे में जरूरी है कि हमें खेतीबाड़ी के पारंपरिक तरीके बदलने होंगे। आज की जलवायु में जो फसलें आसानी से पैदा हो सकें, उन्हीं को उगाने पर जोर देना होगा। भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से पर्यावरण-मुद्दे और चुनौती विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में यह विचार सामने आए हैं।
रविवार को बरेली कॉलेज में आयोजित सेमिनार में देश-विदेश के पर्यावरणविद जुटे। तजाकिस्तान की पर्यावरणविद ओरिफ खोनोवा ने जलवायु परिवर्तन के खेती पर असर को बयां किया। उन्होंने कहा कि तजाकिस्तान की कृषि भी इससे प्रभावित है। खाद्य संकट से बचने के लिए हमें फौरीतौर पर खेती के तरीके बदलने होंगे। नेपाल से आए विक्षित कुमार सिंह ने जैव विविधिता पर व्याख्यान दिया। देहरादून से आए वैज्ञानिक डॉ. आनंद गुप्ता ने कवक और शैवाल पर पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव पर चर्चा की।
पराली से प्रदूषण पर तजाकिस्तान तक चिंता
पराली (फसल के अवशेष) जलाने से फैलने वाला प्रदूषण केवल भारत में ही चिंता का विषय नहीं है। यह समस्या तजाकिस्तान तक है। तजाकिस्तान की पर्यावरणविद डॉ. ओरिफ खोनोवा ने कहा कि खेती के अवशेष न जलाकर प्रदूषण से बचा जा सकता है। गत वर्ष पंजाब और पाकिस्तान में भी पराली के प्रदूषण पर चिंता सामने आ चुकी है।
सबकी सजगता से रुकेगा प्रदूषण
मुख्य अतिथि छत्रपति शाहूजी महाराजा विश्वविद्यालय कानपुर की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि यह सबकी भागीदारी से रुकेगा। हमने नदियों को बुरी तरह से दूषित कर दिया है। गंगा में पॉलीथिन, बाल, साबुन सब कुछ फेंकने लगे। इससे नदी प्रदूषित हो गई। हमें नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए सजग होना होगा। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान पर्यावरण के लिए बेहद सफल है।
विदेश से ऑनलाइन लेक्चर
हंगरी से श्रेय भट्टाचार्य, जेनी जोस, तमस सेजी, केन्या से मयात सू मून, अफगानिस्तान से मुहम्मद अकरम नसीरी ने कांफ्रेंस में ऑनलाइन भाग लिया। अध्यक्षता एनबीआरआइ लखनऊ के डॉ. डीके उप्रेती ने की। प्राचार्य डॉ. अजय शर्मा ने अतिथियों का धन्यवाद किया। संचालन निष्ठा सेठ और श्रुति शर्मा ने किया। कार्यक्रम संयोजक डॉ. एपी सिंह, डॉ. डीके गुप्ता, डॉ. आलोक खरे, डॉ. अनुराग मोहन भटनागर, डॉ. राम बाबू, डॉ. प्रियंका सागर, डॉ. जसपाल सिंह, डॉ. अनीता सिंह, डॉ. गजेंद्र सिंह, नेहा सिंह, वीरेंद्र गंगवार, आदि रहे।
नेपाल को बेस्ट प्रजेंटेशन का अवार्ड
सेमिनार में एएमयू और बीएचयू के शोध छात्रों ने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए। इसमें बीएचयू के शेख आदिल इदरीसी और एएमयू के नेपाल सिंह को बेस्ट पेपर प्रजेंटेशन का अवार्ड मिला।