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अफगान से म्यांमार तक साफ हवा-पानी का संकट

तरक्की के सफर में प्रदूषण एक गंभीर चुनौती है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 07:24 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 07:24 PM (IST)
अफगान से म्यांमार तक साफ हवा-पानी का संकट
अफगान से म्यांमार तक साफ हवा-पानी का संकट

जागरण संवाददाता, बरेली : तरक्की के सफर में प्रदूषण एक गंभीर चुनौती है। इसका दायरा केवल बरेली या भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि अफगानिस्तान, नेपाल, म्यांमार, कजाकिस्तान और हंगरी भी बुरी तरह प्रभावित हैं। अफगानिस्तान में जल संकट गहराया है। भारत की मदद से 300 मिलियन डॉलर के खर्च पर सलमा बांध बनाया जा रहा है, जो अफगानिस्तान को जल संकट से उबारने में मील का पत्थर साबित होगा। मंगलवार को बरेली कॉलेज में पर्यावरण-मुद्दे और चुनौती विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में अफगानिस्तान के पर्यावरणविद डॉ. अकरम नसारी ने प्रदूषण-जल संकट की चुनौती साझा कीं।

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डॉ. अकरम ने कहा कि अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सोवियत सेना ने बड़े पैमाने पर जंगल उजाड़े। जंग से सबसे ज्यादा नुकसान पर्यावरण को हुआ। भारत की तरह अफगानिस्तान में डेढ़ लीटर पानी 25 रुपये में बिकता है। उन्होंने बताया कि सालाना चार हजार लोगों की मौत प्रदूषण के कारण होती है। सबसे ज्यादा चिंता स्वच्छ पानी की है। इससे निबटने में भारत ने हाथ बढ़ाया है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां बांध बनवाने का एलान किया था, जिसका निर्माण जारी है।

वहीं, म्यांमार की डॉ. मायत सू-मून ने अपने देश में जलवायु परिवर्तन के असर बयां किए। उन्होंने कहा कि ऊर्जा उद्योग से प्रदूषण में ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2010 का आंकड़ा रखते हुए बताया कि 70 फीसद जंगल में से केवल 48 फीसद भाग ही बचा है। बाकी पेड़ काट दिए गए। बोलीं, समुद्र का स्तर भी बढ़ रहा है। इस स्थिति में खाद्य पदार्थो की एक नई चुनौती सामने आ रही है। पर्यावरण के मुद्दे पर हर व्यक्ति को चेतना होगा। वरना सभी मुल्कों के नागरिक इसका खामियाजा भुगतेंगे। तीन दिवसीय इस सेमिनार में नेपाल, कजाकिस्तान और हंगरी के प्रोफेसर भी पर्यावरण प्रदूषण पर अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। प्राचार्य डॉ. अजय शर्मा, कार्यक्रम संयोजक डॉ. एपी सिंह ने अतिथियों का धन्यवाद किया।

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इंसान ही इंसान का दुश्मन

मुख्य अतिथि डॉ. डीके गुप्ता ने पर्यावरण के मुद्दे पर कहा कि इंसान ही इंसान का दुश्मन बन चुका है। अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति को मिटाने पर तुले हैं। दूषित-हवा पानी इंसानों के साथ जीव-जंतुओं का जीवन छीन रही है।

इन्हें मिले पुरस्कार

पर्यावरण संरक्षण का पुरस्कार बाबा भीमराव आंबेडकर विवि के डॉ. जीवन सिंह और इंस्टीट्यूट ऑफ सॉइल एंड वाटर कंजर्वेशन देहरादून के डॉ. आनंद गुप्ता को मिला। बेस्ट अकेडमी नेशन का पुरस्कार कुमाऊं यूनिवर्सिटी अल्मोड़ा की डॉ. प्रियंका सागर और डॉ. केपी सिंह को मिला। रुविवि के डॉ. समीर चंद्रा यंग वैज्ञानिक के पुरस्कार से नवाजा गए। हंगरी के शोध छात्र रवि कुमार को बेस्ट शोधकर्ता और बीएचयू के शोध छात्र विशाल त्रिपाठी, बरेली कॉलेज की छात्रा श्रुति शर्मा भी पुरस्कृत हुई।


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