Badaun News: सिटी मजिस्ट्रेट ने शासन को पत्र लिखकर खोले सीएमएस के कारनामे, हो सकती कार्रवाई
सिटी मजिस्ट्रेट अमित कुमार ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा अमित मोहन प्रसाद को पत्र लिखा है। जिसमें जिला अस्पताल के सीएमएस डा. विजय बहादुर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सीएमएस की कार्यशैली और भाषाशैली को लेकर सवाल उठाया है।
बदायूं, जेएनएन। आधी रात को सिटी मजिस्ट्रेट की बेटी को जिला अस्पताल में उपचार नहीं मिल पाया था। डेढ़ घंटे तक डाक्टर और कर्मचारियों को उठाने में लग गया और सीएमएस का फोन नहीं उठा। इस मामले में सिटी मजिस्ट्रेट ने पत्राचार किया तो मामला तूल पकड़ गया। सीएमएस की टिप्पणी आने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने अब शासन को पत्र लिखकर सीएमएस के कारनामों की पोली है।
बुधवार को सिटी मजिस्ट्रेट अमित कुमार ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा अमित मोहन प्रसाद को पत्र लिखा है। जिसमें जिला अस्पताल के सीएमएस डा. विजय बहादुर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सीएमएस की कार्यशैली और भाषाशैली को लेकर सवाल उठाया है। वहीं जिला अस्पताल की व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए चिंताजनक स्थिति बताई है। शासन से व्यवस्थाएं सुधारने व सीएमएस सहित लापरवाह स्टाफ पर कार्रवाई को आग्रह किया है।
सिटी मजिस्ट्रेट ने तीन पन्ना का जो पत्र लिखा है उसमें कहा है कि आधी रात को इमरजेंसी में एक गोली उपचार में मरीज को नहीं मिल सकती है नेबुलाइजर उपलब्ध नहीं हो सकता है। यहां तक कि सीएमएस फोन नहीं उठाते हैं। स्टाफ लाइटें बंद करके सो रहा है। बताने के बाद भी उपचार के लिए कहा जा रहा है यहां इलाज नहीं हो सकता है बच्ची को मेडिकल कालेज ले जाएं। मजिस्ट्रेट बताने के बाद भी इलाज नहीं दिया गया प्राइवेट में जाना पड़ा। अगर ऐसे हालात अफसरों के साथ हो रहे हैं तो आम मरीज को कैसे इलाज उपलब्ध हो पाता होगा।
सिटी मजिस्ट्रेट अमित कुमार ने कहा कि जिला मुख्यालय के अस्पताल की इमरजेंसी की इस तरह की व्यवस्थाएं, उस पर हमने सुधार के लिए पत्र लिखा है। हम थे तो रात में नर्सिंगहोम खुलवाकर बेटी को दिखा लिया, आम आदमी को तो दिक्कत होती, लेकिन हमने सुना है सीएमएस ने हमारे प्रति गलत टिप्पणी की है इसलिए हमने शासन को पत्र लिखा है।
जिला अस्पताल के सीएमएस डा. विजय बहादुर राम ने कहा कि सिटी मजिस्ट्रेट से हमें कोई व्यक्तिगत दिक्कत नहीं है जो हम पत्राचार करें या बहस का मुद्दा बनाएं। उन्होंने लिखा है लिखने दीजिए। हमारा काम व्यवस्थाओं को बेहतर कराना है। हमने किसी को कोई पत्र नहीं लिखा है।