आयोग तक पहुंचा मामला, फिर भी सख्ती नहीं
अस्पताल परिसर से बच्चे चोरी की लगातार घटनाएं सामने आ रही हैं।
जागरण संवाददाता, बरेली: अस्पताल परिसर से बच्चे चोरी होने की घटनाएं नई नहीं हैं। यहां बच्चा चोरी रोकने के प्रयास कभी भी सफल नहीं हो पाए। मामला बाल संरक्षण आयोग तक पहुंचा, लेकिन बच्चों की सुरक्षा के इंतजाम स्वास्थ्य महकमा नहीं कर पाया। कई लोगों को आज तक बच्चे वापस नहीं मिले हैं। अस्पताल परिसर में कई दलाल रहने की जानकारी अधिकारियों को है लेकिन उन पर सख्ती नहीं की जाती। इसी का नतीजा है कि अस्पताल परिसर बच्चा चोरी का आसान केंद्र बन गया है।
गनीमत रही की बच्चा मिल गया
सीबीगंज के गांव नंदोसी निवासी सुशील चौरसिया का एक साल का बेटा अमित 21 मई 2012 को जिला अस्पताल से चोरी हो गया था। पुलिस ने 30 मई को हुसैन बाग में सीमा पत्नी आबिद के पास से मासूम अमित को बरामद कर लिया। मामले में पुलिस ने सीमा के पिता रफीक बहरा और अजमेर के मोती कटला निवासी शेख असलम को गिरफ्तार किया था।
पहले हो चुकी घटनाएं
बिहारीपुर में रहने वाले कैलाश चंद्र पांडे का बच्चा छह मार्च 2012 को जिला महिला अस्पताल से चोरी हो गया था।
अस्पताल परिसर से 27 मार्च 2012 को आंवला के गांव बारीखेड़ा निवासी हरपाल की मासूम बेटी लापता हो गई थी।
भमोरा निवासी नेकपाल की पत्नी ¨रकी का बेटा 25 मई 2017 महिला अस्पताल से नकाबपोश महिला ले गई थी।
आयोग ने मांगा था जवाब
शहर के एडवोकेट मुहम्मद खालिद जीलानी ने वर्ष 2012 में ही मामले की शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में की थी। उन्होंने जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की थी। आयोग ने जिला अस्पताल प्रशासन से जवाब भी मांगा था। अस्पताल प्रशासन ने सुरक्षा की व्यवस्था होने व प्रकरण महिला अस्पताल से संबंधित होना बताया था। वर्ष 2016 के बाद मामला ठंडा पड़ गया।
कोई शिकायत नहीं, कैसे कराए जांच
महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. साधना सक्सेना ने बताया कि पुलिस ने जो भी जानकारी मांगी थी, उन्हें उपलब्ध करा दी गई है। उन्हें 21 व 22 मार्च 2015 में अस्पताल में हुए सभी प्रसव की जानकारी दी गई है। अब तक मामले में किसी ने शिकायत नहीं की है। शिकायत आने पर ही कोई जांच कराई जाएगी। फिलहाल अस्पताल में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं।