एमसीए प्रथम वर्ष में सीटें भरने की चुनौती
मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) में लेटरल एंट्री (सीधे दूसरे स
जागरण संवाददाता, बरेली : मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) में लेटरल एंट्री (सीधे दूसरे साल में प्रवेश) ने कॉलेजों के सामने संकट पैदा कर दिया है। स्थिति यह है कि एमसीए प्रथम वर्ष में अधिकांश कॉलेजों में सीटें खाली रह रही हैं। रुविवि की एमसीए की 30 सीटों के सापेक्ष प्रथम वर्ष में बमुश्किल नौ प्रवेश हैं।
एमसीए कोर्स तीन साल का है। इसमें बीसीए और बीएससी मैथ्स के छात्रों को सीधे द्वितीय वर्ष में प्रवेश का मौका मिलता है। यह प्रक्रिया पिछले करीब तीन साल से शुरू हुई है। इससे कंप्यूटर और मैथ्स बैकग्राउंड के विद्यार्थी द्वितीय वर्ष में प्रवेश को प्राथमिकता देते हैं। जबकि प्रथम वर्ष में वही छात्र प्रवेश लेते हैं, जिनके पास इंटरमीडिएट में मैथ्स विषय होता है, पर आगे वह बीए करने लगते हैं। रुविवि के कंप्यूटर साइंस के एक प्रोफेसर बताते हैं कि बरेली के कुछ कॉलेजों को छोड़ दिया जाए तो बाकी अधिकांश में प्रथम वर्ष की सीटें नहीं भर पा रही हैं। इसी कारण एमसीए कोर्स कॉलेजों को बोझ लगने लगा है।
द्वितीय वर्ष में प्रवेश की मारामारी
एमसीए द्वितीय वर्ष में रुविवि में 30 सीटें हैं। इसके सापेक्ष 36 प्रवेश हुए हैं। यानी दूसरे वर्ष में प्रवेश लेने वालों की संख्या बढ़ रही है। विवि के पास निर्धारित सीटों से दस फीस अधिक प्रवेश लेने का अधिकार है, इसलिए यहां ज्यादा सीटों पर प्रवेश हुए हैं। जबकि कॉलेज तय सीटों पर ही प्रवेश ले सकते हैं। यानी उनके पास प्रथम वर्ष की रिक्त सीटों की भरपाई का मौका द्वितीय वर्ष में भी नहीं होता है।