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दुर्लभ बीमार आस्टियोजेनिक सर्कोमा से पीड़ित चाहत को है कीमोथैरेपी के लिए मदद की दरकार, जानें क्या है आस्टियोजेनिक सर्कोमा बीमारी

Rare disease Osteogenic Sarcoma आस्टियोजेनिक सर्कोमा यानी हड्डी बनाने वाली कोशिकाओं के कैंसर की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित फरीदपुर की चाहत का मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल में आपरेशन के बाद कटे पैर की जगह कृत्रिम पैर लग गया।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 04:29 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 04:29 PM (IST)
दुर्लभ बीमार आस्टियोजेनिक सर्कोमा से पीड़ित चाहत को है कीमोथैरेपी के लिए मदद की दरकार, जानें क्या है आस्टियोजेनिक सर्कोमा बीमारी
मुंबई स्थित टाटा मेमोरियरल अस्पताल में चल रहा है फरीदपुर की बेटी का इलाज

बरेली, जेएनएन। Rare disease Osteogenic Sarcoma : आस्टियोजेनिक सर्कोमा यानी हड्डी बनाने वाली कोशिकाओं के कैंसर की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित फरीदपुर की चाहत का मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल में आपरेशन के बाद कटे पैर की जगह कृत्रिम पैर लग गया। हालांकि जनवरी 2022 तक लगातार 12 कीमोथैरेपी कराने के लिए अब भी परिवार को शहरवासियों की मदद की दरकार है। वजह, एक दुर्घटना के बाद पनपे कैंसर के इलाज में परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से बेहद जर्जर हो चुकी है। फरीदपुर के शिवराजपुर की रहने वाली किशोरी चाहत के पिता नीलेश कुमार मिश्र ने बताया कि साल 2019 की जनवरी में साइकिल चलाने के दौरान लगी चोट लंबे इलाज के बावजूद सही नहीं हुई थी।

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करीब एक साल बीतने के बावजूद आराम नहीं मिला तो रुड़की में एक दवा कंपनी में शोध एवं अनुसंधान विभाग के डा.संजय अग्रवाल से संपर्क किया था। जिसके बाद डा.संजय ने फोर्टिस अस्पताल दिल्ली में वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ पत्नी डा.साधना अग्रवाल के जरिए जांच कराई तो चाहत को ‘आस्टियोजेनिक सर्कोमा' नामक हड्डी बनाने वाली कोशिकाओं के कैंसर की दुर्लभ बीमारी होने की बात पता चली। इसका सबसे ज्यादा असर चाहत के बाएं पैर पर ही था। फोर्टिस अस्पताल से चाहत को मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल रेफर किया गया था। यहां इलाज के दौरान जान बचाने के लिए चाहत का पैर काटना पड़ा। उधर, बेटी के इलाज के लिए लंबी छुट्टी होने की वजह से निजी कंपनी ने बतौर सिक्योरिटी गार्ड नौकरी करने वाले नीलेश की सारी जमा-पूंजी खर्च हो गई।

डा.संजय और जागरण की अपील से आई दर्जनों लोगों की मदद से लगा कृत्रिम पैर : आपरेशन में पैर काटने के बाद चाहत के लिए एक कृत्रिम पैर की जरूरत थी, जिससे वह किसी तरह चल सके। इस पर डा.संजय ने स्वजन व मित्रों की मदद से बच्ची के इलाज और मुंबई में स्वजन के रहने-खाने की व्यवस्था की। दैनिक जागरण के जरिए भी चाहत की मदद की अपील जारी हुई। जिसके बाद शहर के कुछ लोग आगे आए और सहयोग के रूप में रकम चाहत के स्वजन को दी। इसके बाद टाटा मेमोरियल में ही चाहत का बांया एक कृत्रिम पैर लगाया गया। हालांकि अभी बारह बार कीमोथैरेपी होना बाकी है, इसलिए अभी चाहत को कम से कम जनवरी तक भर्ती रखना पड़ेगा। इस पर तीन लाख से ज्यादा खर्च होने का अनुमान है। चाहत की मदद के लिए उनके पिता नीलेश कुमार मिश्र 9794197245 के फोन नंबर पर बात कर सकते हैं।

एक से डेढ़ लाख के बीच आता है एक केसः चाहत आस्टियोजेनिक सर्कोमा नामक हड्डी बनाने वाली कोशिकाओं के जिस कैंसर की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है डॉ. साधना के मुताबिक, एक से डेढ़ लाख लोगों के बीच में ऐसा एक केस सामने आता है। इसमें हड्डियों की कोशिकाएं पूरी तरह कमजोर हो जाती हैं।


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