चंद्रयान-2 में आंख-नाक बन कर काम करेंगे सेंसर Bareilly News
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जहां चंद्रयान-2 पहुंचेगा वहां सूरज की किरणों सीधे नहीं बल्कि तिरछी पड़ती हैं। इस कारण से तापमान में बदलाव होता रहता है।
बरेली [प्रसून शुक्ल] : चंद्रयान-2 में सेंसर प्रक्रिया अहम भूमिका में है। मेक इन इंडिया के तहत बने कमर्शियल सेंसर कई चरणों में सेट करने के बाद चंद्रयान-2 में असेंबल किए गए हैं। बदायूं निवासी सतपाल अरोरा उर्फ मिक्कू ने चंद्रयान-2 में ग्राउंड फंक्शन से लेकर फ्लाइट मोड तक में लगे सभी सेंसर के सुचारू और सटीक क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संभाली है।
सतपाल बताते हैं कि माइक्रो इलेक्ट्रो मैकेनिकल सिस्टम (एमईएमएस) के अंतर्गत लांच व्हीकल में स्टेज सेपरेशन, हीट सील्ड सेपरेशन ऑफ सेटेलाइट, प्रेशर सेंसर, गैस सेंसर के उच्च और निम्न दाब को सेंसर के जरिये कंट्रोल किया जाता है।
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जहां चंद्रयान-2 पहुंचेगा, वहां सूरज की किरणों सीधे नहीं बल्कि तिरछी पड़ती हैं। इस कारण से तापमान में बदलाव होता रहता है। चंद्रयान-2 में लगे सेंसर 130 डिग्री सेल्सियस से लेकर -180 डिग्री सेल्सियस तक सामान्य तरीके से काम करने में सक्षम हैं। इसमें किसी भी तरह का व्यवधान पूरे सिस्टम को खराब कर सकता है। विभिन्न सेंसर को सुचारू काम करते रहने में सक्षम बनाने का यह अहम दारोमदार इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक सतपाल उर्फ मिक्कू की अगुआई में उनके साथ जुड़ी करीब तीन सौ लोगों की टीम के जिम्मे रहा। ]
सतपाल बताते हैं कि पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने के लिए चंद्रयान को 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति चाहिए ताकि ग्रेविटी फोर्स के साथ यह अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ सके। इसके लिए सेंसर के साथ सॉलिड और लिक्विड इंजन प्रक्रिया है। सामान्य शब्दों में सेंसर का महत्व बताते हुए सतपाल ने कहा कि जैसे हमारी नाक सूंघकर हालात का पता लगा लेती है या शरीर में कुछ भी चुभने या कुछ असामान्य होने पर हमारी त्वचा महसूस कर लेती है और हमें सतर्क कर देती है, सेंसर भी ऐसी ही भूमिका निभाते हैं।
सेंसर ही चंद्रयान-2 को सुरक्षित और संवेदनशील बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। सतपाल अरोरा का कहना है कि 15 जुलाई को चंद्रयान-2 की लांचिंग टलना किसी विफलता का प्रतीक नहीं है। अन्य देशों में भी अंतरिक्षयानों की लांचिंग टलती रही है। खामियों को दूर करते हुए इसरो फिर लांचिंग के लिए तैयार है।
आठ किलोमीटर प्रति सेकंड रह जाएगी रफ्तार
चांद की कक्षा में पहुंचकर चंद्रयान गति आठ किलोमीटर प्रति सेकंड रह जाएगी। इसमें लगे लैंडर और रोवर सात सितंबर को चांद पर उतरेंगे। लैंडर पर लगे रडार और कैमरा की मदद से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि लैं¨डग की जगह पूरी तरह सुरक्षित हो। इसी आधार पर लैं¨डग की सटीक जगह चुनी जाएगी।