नागरिकता संशोधन बिल पास होने पर शहर में सिंधी समाज के लोगों ने ऐसे मनाया जश्न Bareilly News
राज्यसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद शहर में रह रहे सिंधी खत्री पंजाबी परिवारों में खासी खुशी है। खासकर वे परिवार जो बंटवारे के समय पाकिस्तान से आकर शहर में बस गए थे
जेएनएन, बरेली : राज्यसभा से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद शहर में रह रहे सिंधी, खत्री व पंजाबी परिवारों में खासी खुशी है। खासकर वे परिवार, जो बंटवारे के समय पाकिस्तान से आकर शहर में बस गए थे। करीब 70 साल पहले उन्हें पकिस्तान में अपनी संपत्ति व बुजुर्गों को छोड़कर आना पड़ा था। अभी भी उनके परिवार, खानदान कुछ लोग सरहद पार ही हैं। अब आस बंधी है कि ऐसे परिवार यदि आना चाहेंगे तो यह देश उन्हें आसानी से अपना लेगा।
बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी दे दी गई थी। गुरुवार को जागरण टीम ने इस पर शहर के लोगों से बातचीत की। जागरण परिचर्चा के लिए उस सिंधुनगर को चुना, जहां सबसे ज्यादा सिंधी-खत्री परिवार रहते हैं। वहां रहने वाले परिवारों को अपना पुराना दर्द आज भी याद आया, जब विभाजन के वक्त वे मुश्किल हालात में पाकिस्तान से यहां आकर बसे थे।
गुरुवार को इस मामले पर परिचर्चा हुई तो जयकिशन वतवानी ने बताया कि बंटवारे के समय वह परिवार के साथ यहां आ गए। जबकि उनके भाई दुर्गादास वतवानी का परिवार आज भी पाकिस्तान के जिला सांघड़ में गांव शाहदादपुर में रहता है। बीती 24 नवंबर 2018 को करीब 55 साल बाद वह अपने भाई से मिलने पाकिस्तान गए थे। बोले, सालों तक संघर्ष किया, तब जाकर नागरिकता मिली। अब खुशी है कि आने वाली पीढिय़ों को इसके लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा।
राजेंद्र खानचंदानी, लेखराज मोटवानी, चंदीराम शिवनानी, कन्हैया लाल ठाकवानी ने नागरिकता बिल के लिए मोदी सरकार व गृहमंत्री अमित शाह के इस कदम की सराहना की। कहा कि यह बड़ा फैसला है, उतनी ही मजबूती से इस दिशा में कदम भी उठाया गया।
इस मौके पर हेमंत दास संतवानी, ज्ञानचंद लौंगवानी, नारायण दास केशवानी, डॉ. गोविंद राम भारवानी, महादेव मल गुरनानी, किशन लाल सननानी, विनोद गुरनानी, सोनू खानचंदानी, गोविंद दास टिकयानी, धनश्याम लाल, परमानंद देवनानी और जयश्याम समनानी आदि मौजूद रहे।
ढोल की थाप पर झूमी महिलाएं
नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने पर सिंधुनगर में रहने वाली महिलाएं भी खुश दिखीं। बबली, कौशल्या, मुस्कान, रेखा बोलीं कि सरकार का बड़ा कदम है। दूसरे देश में रहने वाले सिंधी, खत्री, पंजाबी आदि को यहां की नागरिकता मिलने में आसानी होगी। ऊषा, मनीषा, भूमि ने भी प्रसन्नता जाहिर की। वे ढोल की थाप पर थिरकती दिखीं।