सीबीआइ ने मांगा वक्फ से हिसाब Bareilly News
मुस्लिम बुजुर्गो ने कौम की धार्मिक-सामाजिक और आर्थिक सेवा के नजरिये से अपनी संपत्तियां वक्फ कीं। वक्फ के शासकीय गजट में जिले में 3171 संपत्तियां पंजीकृत हैं।
जेएनएन, बरेली : मुस्लिम बुजुर्गो ने कौम की धार्मिक-सामाजिक और आर्थिक सेवा के नजरिये से अपनी संपत्तियां वक्फ कीं। वक्फ के शासकीय गजट में जिले में 3171 संपत्तियां पंजीकृत हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड में 3100 और शिया वक्फ बोर्ड में 69 संपत्तियां हैं। खास बात यह है कि अधिकांश संपत्तियों पर अपना हक जमाने को लेकर कमेटियों का विवाद चल रहा है। आपसी विवाद से इतर अब इनकी बेचैनी और बढ़ गई है। वो इसलिए क्योंकि राज्य सरकार ने शिया-सुन्नी दोनों वक्फ की संपत्तियों की सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश कर दी है। वक्फ से जुड़े जानकारों के मुताबिक, अगर सीबीआइ जांच बैठी और गहराई से पड़ताल हुई तो बड़ी संपत्ति पर हक जमाए बैठीं कमेटियां खर्चो का हिसाब नहीं दे पाएंगी।
मानवता के लिए खर्च करें आमदनी
भारतीय वक्फ विधि 1913 की धारा दो में वक्फ संपत्ति का विस्तार से उल्लेख है। मुस्लिम धर्म के मानने वाले अपनी स्थाई संपत्ति को वक्फ कर सकते हैं। बशर्ते, उनका इरादा मानव सेवा व धार्मिक कार्य का होना चाहिए। बताते हैं कि वक्फ का जिक्र हदीस में भी आया है। हजरत उमर के दौर से संपत्ति वक्फ करने का जिक्र मिलता है।
32 साल पहले प्रकाशित हुआ गजट
वक्फ बोर्ड का शासकीय गजट प्रकाशित हुए 32 साल हो चुके हैं। यह वर्ष 1987 में वजूद में आया था। इसी में जिले भर की संपत्तियों का ब्योरा दर्ज है। करीब तीन-चार साल पहले भी वक्फ संपत्तियों का जिलेवार सर्वेक्षण हुआ था। मगर 32 साल से अब तक कोई नई संपत्ति गजट में जगह नहीं पा सकती है। अभी तक यह वक्फ बोर्ड में ही दर्ज हैं।
पटरी से उतरा वक्फ का लक्ष्य
मानव सेवा के लिए बुजुर्गो ने दूरदर्शिता दिखाते हुए जो संपत्तियां वक्फ की थीं। वह उद्देश्य अब डिरेल हो चुका है। वक्फ से जुड़े एक अधिकारी का मानना है कि वक्फ की संपत्ति से मानव सेवा का मूल कार्य नहीं हो पा रहा है। 40 साल पहले जो संपत्तियां वक्फ की गई थीं, आज की तारीख में वह बेशकीमती हैं। इस पर हक जमाने को लेकर विवाद चल रहे हैं। विवाद शांत हो जाएं और ढंग से ऑडिट हो तो इसकी आमदनी सेवा कार्यो में खर्च हो सकती है।
सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड में 3171 संपत्तियां दर्ज हैं। बोर्ड में दर्ज हुईं नई संपत्ति या अन्य विस्तृत जानकारी वक्फ बोर्ड से ही मिलेगी। -राहुल कुमार, इंस्पेक्टर वक्फ बोर्ड, बरेली