Mishap : डोली से बोली दुल्हन, अलविदा बहन Bareilly News
एक तरफ बड़ी बेटी की डोली भेजी जानी थी। वहीं दूसरी तरफ पोस्टमार्टम हाउस में रखी छोटी बेटी की लाश। छोटी बेटी की मौत के मातम के बीच बड़ी बेटी की शादी की खुशियां काफुर हो चुकी थीं।
जेएनएन, बरेली : एक तरफ बड़ी बेटी की डोली भेजी जानी थी। वहीं, दूसरी तरफ पोस्टमार्टम हाउस में रखी छोटी बेटी की लाश। छोटी बेटी की मौत के मातम के बीच बड़ी बेटी की शादी की खुशियां काफुर हो चुकी थीं। माता-पिता ने किसी तरह खुद को संभालकर बड़ी बेटी की डोली विदा की। इसके बाद फफकते परिजन पोस्टमार्टम हाउस (मोर्चरी) पहुंचे। वहां से छोटी बेटी के शव को लेकर घर पहुंचे। रोते-बिलखते पिता और परिजनों ने छोटी बेटी की अर्थी को कंधा देकर अंतिम विदाई दी।
सुबह छह बजे शिवानी की विदाई हुई। कुछ देर में वह ससुराल पहुंची। जहां नम आंखों के बीच उसने ससुराल में रस्मे अदा की। फिर दोपहर में वापस मायके लौटी और छोटी बहन के अंतिम संस्कार में शामिल हुई। इस दौरान भाई भूपेंद्र तो सदमे में चुपचाप बहन के शव को ही देखता रह गया। मामला बिथरी थाना क्षेत्र के चंदपुर गांव का है। जहां बड़ी बहन के शादी के दिन सड़क हादसे में छोटी बहन समेत उसकी सहेली मौत का है।
बिथरी के चंदपुर गांव निवासी कृष्ण गोपाल के चार बच्चों में बड़ी बेटी शिवानी की सोमवार को शादी थी। रामतारा बरातघर में चल रही शादी की रस्मों के बीच छोटी बेटी शीनू स्कूटी सहेली शीतल के साथ बालीपुर गांव जा रही थी। इसी दौरान कार ने स्कूटी में टक्कर मार दी। जिससे शीनू की मौके पर ही जबकि सहेली शीतल की उपचार के दौरान मौत हो गई थी।
छोटी बेटी को घर से अंतिम विदाई : बड़ी बेटी की विदाई के बाद बरातघर का माहौल गमगीन हो गया। शीनू की मौत ने परिजनों के साथ रिश्तेदारों को भी झकझोर दिया था। रोते बिलखते परिजन पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे तो उनके के आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे थे। पोस्टमार्टम हाउस में मौजूद बाबा राममूर्ति लाल के सदमे में थे।
शीनू के मौसा महेश घटना को याद कर फफक पड़े तो रिश्तेदारों ने किसी तरह उन्हें चुप कराया। दोपहर में परिजन पोस्टमार्टम के बाद परिजन शव लेकर घर गए। जहां छोटी बेटी का शव देखकर मां के आंखों के आंसू ही सूख गए। चंद घंटों पहले परिजनों ने जहां बड़ी बेटी की डोली में विदा किया तो कुछ घंटों बाद छोटी बेटी की अर्थी को कंधा अंतिम विदाई दी।
गांव में भी छाया मातम : दोपहर में शीनू का शव जब गांव पहुंचा तो परिवार को संभालने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। चीख-पुकार के बीच लोगों के आंखों में भी आंसू आ गए। किसी तरह परिवार को ढांढ़स बंधाया। इस दौरान ग्रामीण भी कहते रहे एक ही दिन में दोनों बेटियों की यह कैसी विदाई। एक ससुराल तो दूसरे को शमशान तक पहुंचाना पड़ा।
मातम के बीच हुए सात फेरे : बिथरी क्षेत्र का रामतारा बरातघर शादी के लिए बुक हुआ था। हादसे के बाद रात में बरात भी पहुंची लेकिन ढोल-ताशा और न ही शहनाई बजी। बरातियों के चेहरे पर भी मायूसी साफ झलक रही थी। मंडप के नीचे दुल्हन शिवानी ने रोते हुए शादी के फेरे लिए तो नम आंखों के बीच पिता कृष्ण गोपाल समेत पूरी परिवार ने सभी रस्मे अदा की। सुबह छह बजे बड़ी बेटी की डोली को कंधा देकर विदा किया फिर बरातघर में सिर्फ सिसकियां ही सुनाई पड़ी।