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लोकसभा चुनाव 2019: केंद्रीय मंत्री कृष्णाराज को भारी पड़ी अपनों से नाराजगी, पढ़े इसलिए कटा टिकट

केंद्रीय कृषि कल्याण राज्यमंत्री कृष्णाराज का लोकसभा चुनाव का टिकट भाजपा संसदीय बोर्ड ने टिकट काट दिया है। उनकी जगह अरुण सागर को प्रत्याशी बनाया गया है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Fri, 22 Mar 2019 03:29 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 12:56 AM (IST)
लोकसभा चुनाव 2019: केंद्रीय मंत्री कृष्णाराज को भारी पड़ी अपनों से नाराजगी, पढ़े इसलिए कटा टिकट
लोकसभा चुनाव 2019: केंद्रीय मंत्री कृष्णाराज को भारी पड़ी अपनों से नाराजगी, पढ़े इसलिए कटा टिकट

जेएनएन, शाहजहांपुर : केंद्रीय कृषि कल्याण राज्यमंत्री कृष्णाराज का लोकसभा चुनाव का टिकट भाजपा संसदीय बोर्ड ने टिकट काट दिया है। अपनों से नाराजगी उनकों भारी पड़ गई। उनकी जगह अरुण सागर को प्रत्याशी बनाया गया है। 

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कई महीने से चल रही थी टिकट कटने की चर्चाएं

कृष्णाराज का टिकट काटे जाने की चर्चाएं कई महीने पूर्व से चल रही थी। साेशल मीडिया पर भी लगातार खबरें आ रही थी। होली पर घोषित प्रत्याशियों की सूची से उनका नाम बाहर कर दिया गया है। जिले में पार्टी के वरिष्ठ नेता व संगठन से भी उनकी नहीं बन रही थी। कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना से अनबन जगजाहिर थी। पिछले दिनों भाजपा की बाइक रैली में मंच पर पार्टी जिलाध्यक्ष से नोकझोंक के बाद संगठन में विरोध शुरू हो गया था।

अब तक का राजनीतिक सफर 

लखीमपुर खीरी जिले की मोहम्मदी सुरक्षित सीट से 1996 से 2002 तथा 2007 से 2012 तक विधायक रही कृष्णाराज तेज तर्रार महिला नेता रही है। मोहम्मदी के सामान्य सीट हो जाने पर कृष्णाराज ने 2009 में शाहजहांपुर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में वह सपा के मिथलेश कुमार से हार गई। लेकिन 2014 के चुनाव में सवा पांच लाख के करीब वोट पाकर उन्होंने सपा के मिथलेश कुमार से सीट छीनने के साथ उन्हें तीसरे नंबर पर ढकेल दिया। दूसरे स्थान पर बसपा के उम्मेद सिंह रहे।

कौन है अरुण सागर

अरुण सागर कटरा विधानसभा के क्षेत्र चावर खास गांव के निवासी है। सागर वित्त विकास निगम से जुड़कर कारोबार करते थे। वह बसपा के कार्यकर्ता रहे। 2006 में उन्हें बसपा का जिलाध्यक्ष बनाया। शीर्ष नेतृत्व पर पकड़ के चलते 2007 में राजकीय निर्माण निगम का उपाध्यक्ष बनाकर दर्जा राज्यमंत्री का ओहदा दे दिया गया। 2009 में उन पर संगठन विरोधी गतिविधियों का आरोप लगा और उन्हें बसपा से निकाल दिया गया। पुवायां में विधानसभा उपचुनाव के दौरान वह बसपा में लौट आए। 2012 में बसपा के टिकट पर पुवायां से विधानसभा चुनाव लड़े। हालांकि 50 हजार से अधिक मत पाकर भी हार का सामना करना पड़ा। 15 जून 2015 को बसपा से उन्हें संगठन विरोधी गतिविधियों में फिर से निकाल दिया गया। इसके बाद उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली।

कई साल से अरुण सागर पर थी भाजपा की नजर

भाजपा के पास सशक्त दलित चेहरा नही थी। इस कारण भाजपा का स्थानीय शीर्ष नेतृत्व सशक्त चेहरे की तलाश में था। अरुण सागर ने भी मौाका देख भाजपा से नजदीकियां बढ़ाई। 2015 में बसपा से दोबारा निष्कासन के बाद भाजपा ने अरुण सागर को संगठन में ब्रज क्षेत्र का उपाध्यक्ष बनाकर कद बढ़ाया। नवादा दरोबस्त में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन पर भी क्षेत्रीय उपाध्यक्ष के रूप में अरुण सागर को मंच पर स्थान दिया गया। इसके बाद से ही अरुण सागर का टिकट पक्का माना जा रहा था। 


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