बरेली में भ्रष्टाचार के रास्ते पर जमकर दौड़ रही एंबुलेंस, शासन ने दिए जांच के आदेश
हर माह में 9 18 21 और 24 तारीख को एचआरपी यानी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी डे मनाया जाता है। इन तारीखों में एंबुलेंस चालक को सबसे ज्यादा केस अटेंड करने को कहा जाता है जिससे ट्रिप बढ़ाई जा सकें।
बरेली, जेएनएन। एंबुलेंस के फेरों में किस स्तर पर गड़बड़ी की जा रही है। इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। एंबुलेंस को काल करने के बाद वह मरीज के पास तक पहुंचती तक नहीं है और केस डायरी में उनका केस चढ़ा दिया जाता है। बाद में उसे आनलाइन अपडेट कर सरकार से उसका भुगतान ले लिया जाता है। जब जागरण ने इसकी पड़ताल की तो कई मामले सामने आए। शासन ने अब इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
केस नंबर एक: एक एंबुलेंस की केस डायरी के अनुसार हुमा नाम की महिला को एंबुलेंस से अटेंड किया गया। कागजों में उसके पति का नाम रहूपखान पड़ा हुआ था। इसी के साथ आधार नंबर, मोबाइल नंबर, समेत पूरी जानकारी भरी हुई थी। जब दिए गए मोबाइल पर फोन किया तो वह नंबर ही नहीं लगा। बताया गया कि नंबर रिचार्ज नहीं करने की वजह से बंद है।
केस नंबर दो: एंबुलेंस के ड्राप बैक रिकार्ड (डीबीआर) के रिकार्ड के अनुसार बहेड़ी की चार माह की गर्भवती शोभा को उनके घर तक छोड़ा गया। उनके पति का नाम कागजों में तेजपाल पड़ा हुआ था। साथ में आधार नंबर और मोबाइल नंबर भी था। मगर जब उस नंबर पर फोन किया तो वह नंबर रंजन कुमार का निकला, उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी का नाम सुशीला देवी है। उनकी पत्नी चार माह नहीं बल्कि नौ माह की गर्भवती है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि दो 23 मई को उनकी पत्नी एंबुलेंस से घर आई थी। जबकि डीबीआर उससे पुराना था।
केस नंबर तीन: डीबीआर के मुताबिक छह माह की सिम्मी नाम की महिला को उसके गांव मवी का जियां छोड़ा गया। सिम्मी के पति का नाम कागजों में इस्लाम नवी लिखा हुआ था। जबकि फोन करने पर वह फोन गुलाबनवी ने उठाया। उन्होंने कहा कि इस्लाम नवी उनके भाई है। मगर उन्होंने न तो कोई एंबुलेंस बुलाई है और न ही किसी एंबुलेंस ने उनकी भाभी को घर छोड़ा है। उन्होंने बताया कि सिम्मी छह माह नहीं बल्कि तीन से चार माह की ही गर्भवती होंगी।
केस नंबर चार: आस्था नाम की छह माह की गर्भवती महिला को बहेड़ी सीएचसी से घर छोड़ा गया। कागजों में अस्था का जो नंबर डाला गया वह भी फर्जी निकला। उस नंबर पर फोन करने पर पता चला कि वह नंबर अस्थाई रूप से सेवा में नहीं था। इससे साफ स्पष्ट हो गया कि यह केस भी अन्यों की तरह फर्जी है।
यहां पर हमने उदाहरण के तौर पर केवल चार केस सामने रखे है। इस तरह के न जाने कितने केस और भी है। जो इसी तरह से फर्जी चढ़ाए जा रहे है। बताया यह भी जा रहा है कि जिन केस को डीबीआर में दिखाया गया है। उन्हीं केस को अस्पताल लाने तक भी दिखाया गया है। जांच में यह सभी फर्जीवाड़ा सामने आ जाएगा।
कैसे करते हैं गड़बड़ी: बताया जा रहा है कि कंपनी की ओर से हर माह में 9, 18, 21 और 24 तारीख को एचआरपी यानी हाई रिस्क प्रेग्नेंसी डे मनाया जाता है। इन तारीखों में एंबुलेंस चालक को सबसे ज्यादा केस अटेंड करने होते है। जिससे ट्रिप बढ़ सकें। ऐसे में चालक फर्जी के ट्रिप कागजों में चढ़ाने लग जाते है। फर्जी केस के लिए चालक गांव-गांव आशाओं को फोन करते है। उनसे गांव की किसी भी गर्भवती महिला का नाम और उसका आधार कार्ड नंबर मांग लेते है। जिसे वह अपने कागजों में दर्ज कर आशा के ही किसी परिजन के नंबर के साथ अपडेट कर देते है। जिससे यदि कोई चेक करने के लिए काल भी करे तो आशा यह कह देती है कि उन्होंने ही एंबुलेंस बुलाई थी।
एक माह बाद नंबर कर देते हैं रिपीट: हालात यहां तक है कि एंबुलेंस चालक एक माह में नंबरों को रिपीट कर नया केस बना देते है। जैसे- यदि एक व्यक्ति ने एक माह पहले एंबुलेंस को फोन कर बुलाया। उस वक्त उसकी पूरी जानकारी ली जाती है। एक महीनें बाद अपना नया केस बनाने के लिए चालक उसी पूरी डिटेल के साथ दोबारा से अपना नया ट्रिप तैयार कर लेता है। यदि क्रास चैकिंग के लिए डाले गए मोबाइल नंबर पर कोई काल भी करता है तो सिर्फ यह पूछता है कि क्या उन्होंने फोन कर एंबुलेंस को बुलाया था। इस पर व्यक्ति हामी भर देता है।