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भ्रष्टाचार : नगर निगम में जलकल विभाग के टेंडर में बड़ा गोलमाल, होगी विजिलेंस जांच

नगर निगम के जलकल विभाग में एक बार फिर बड़ा गोलमाल सामने आया है।

By Edited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 12:59 AM (IST)Updated: Sat, 05 Jan 2019 12:59 PM (IST)
भ्रष्टाचार : नगर निगम में जलकल विभाग के टेंडर में बड़ा गोलमाल, होगी विजिलेंस जांच
भ्रष्टाचार : नगर निगम में जलकल विभाग के टेंडर में बड़ा गोलमाल, होगी विजिलेंस जांच

जेएनएन, बरेली : नगर निगम के जलकल विभाग में एक बार फिर बड़ा गोलमाल सामने आया है। शहर में संचालित 67 ट्यूबवेलों के ऑटोमेशन व अनुरक्षण (मरम्मत व रखरखाव) के लिए मानकों की अनदेखी कर खास फर्म को टेंडर दे दिया गया। दूसरी बार हुई टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायत महापौर से की गई। इस पर महापौर ने नगर आयुक्त को मामले की विजिलेंस जांच करवाने के निर्देश दिए हैं।

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दो बार कैंसिल हो चुका है अनुबंध

नगर निगम ने ट्यूबवेल के ऑटोमेशन व अनुरक्षण के काम के लिए पहले 20 अक्टूबर को ऑनलाइन टेंडर निकाला था। उस वक्त अलीगढ़ की एक फर्म को काम दे दिया गया। मानकों की अनदेखी कर उस फर्म को टेंडर देने का आरोप लगाते हुए महापौर से शिकायत की गई थी। महापौर के निर्देश पर टेंडर निरस्त कर कम दरों पर आगरा की रिलाइट सॉल्यूशन को काम दिया गया। इस फर्म का चरित्र प्रमाण पत्र ठीक नहीं होने का आरोप लग गया। तब उसका ठेका भी निरस्त कर दिया गया। फिर नगर निगम ने सात दिसंबर को दोबारा ऑनलाइन टेंडर निकाला। इसमें वाराणसी की केएमबी इलेक्ट्रिकल कंपनी को काम दे दिया गया।

इस आधार पर की गई शिकायत

रिलाइट सॉल्यूशन्स के विवेक गुप्ता का आरोप है कि इस बार पांच फर्मो ने ऑनलाइन टेंडर डाले थे। एक फर्म को दस्तावेज दाखिल नहीं करने पर अमान्य कर दिया गया। बची चार फर्मो में से सिर्फ केएमबी इलेक्ट्रिकल के पास ऑटोमेशन का अनुभव था। शेष तीन सिंह ग्रुप, शिवा एंड कंपनी और रिलाइट सोल्यूशन के पास ऑटोमेशन का अनुभव नहीं था। बावजूद इसके उन्हें टेक्निकल बिड में पास कर दिया गया। वजह, सिर्फ एक फर्म के लिए फाइनेंशियल बिड नहीं खोली जाती है।

कार्यकारिणी समिति में नहीं रखी फाइल

आरोप है कि नगर आयुक्त ने टेक्निकल बिड की जांच के लिए फाइल को कार्यकारिणी समिति में भेजे जाने के लिए प्रस्ताव लगवाया था। वहां से बचाने के लिए उनके आदेश के कागज निकाल दिए गए। सभी फर्मो की सीधे फाइनेंशियल बिड खोल दी गई। इस कारण शिकायतकर्ता ने किसी अन्य एजेंसी से जांच कराने की मांग की।

करोड़ों रुपये के खेल की तैयारी

नगर निगम ने सभी ट्यूबवेल के संचालन के लिए ऑपरेटर रखे हैं। उनसे ट्यूबवेल चलाने व बंद करने समेत अन्य काम लिए जाते हैं। इसके लिए प्रति ट्यूबवेल नगर निगम के करीब दस हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। चूंकि नई फर्म को ऑटोमेशन के साथ ही अनुरक्षण का कार्य करना है। इसलिए उन्हें 15 हजार रुपये प्रतिमाह देने का एग्रीमेट निगम ने किया है। इस तरह एक महीने में करीब एक करोड़ रुपये निगम इसी में खर्च करेगा, यानी साल में 12 करोड़। यह टेंडर दस साल के लिए दिया जाना है। यानी दस साल के लिए 120 करोड़ रुपये का ठेका एक ही फर्म को देकर बड़े गोलमाल की तैयारी की गई है।

विजिलेंस करेेगी मामले की जांच

ट्यूबवेल ऑटोमेशन व अनुरक्षण के टेंडर में बार-बार शिकायत मिल रही है। पहले भी टेंडर निरस्त कराया जा चुका है। इस बार भी शिकायत पर नगर आयुक्त को अपने स्तर या फिर विजिलेंस से मामले की जांच कराने को कहा है। - डॉ. उमेश गौतम, महापौर

गड़बड़ी पर होगी कार्रवाई

टेंडर में गड़बड़ी की जांच कराई जा रही है। हालांकि शिकायतकर्ता खुद बड़ा धोखेबाज है। एक ही कंपनी का टेंडर तीन अलग नामों से डाला है। उनके दिए अनुभव पत्र के हिसाब से सत्यापन कराया जा रहा है। किसी भी स्तर पर गड़बड़ी होने पर कार्रवाई होगी। - आरके श्रीवास्तव, नगर आयुक्त


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