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भैया और बहना, दोनों ने राष्ट्ररक्षा का सूत्र पहना Bareilly News

दस साल हो गए रक्षाबंधन पर एक दूसरे से मिले नहीं। फिर भी उन्हें कोई शिकवा नहीं। बहन ने सिर्फ अपनी नहीं पूरे देश की रक्षा का वचन मांगा जोकि उनके भाई निभा रहे।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Thu, 15 Aug 2019 12:38 PM (IST)Updated: Fri, 16 Aug 2019 08:54 AM (IST)
भैया और बहना, दोनों ने राष्ट्ररक्षा का सूत्र पहना Bareilly News
भैया और बहना, दोनों ने राष्ट्ररक्षा का सूत्र पहना Bareilly News

बरेली [अव‍िनाश चौबे] : रक्षाबंधन.. वह दिन जब भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती हैं और भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं। मगर, इन भाई-बहन की दास्तां अलग है। इन दोनों ने रक्षा का वचन लिया..एक दूसरे की नहीं बल्कि देश की रक्षा का। वे दोनों भारतीय सेना का हिस्सा हैं।

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दस साल हो गए, रक्षाबंधन पर एक दूसरे से मिले नहीं। फिर भी, उन्हें कोई शिकवा नहीं। बहन ने सिर्फ अपनी नहीं, पूरे देश की रक्षा का वचन मांगा जोकि उनके भाई निभा रहे। वह खुद भी राष्ट्र रक्षा का सूत्र लेकर सीमा पर तैनात हैं।

इस बार तो उन दोनों की जिम्मेदारी इसलिए भी बढ़ गई कि पूरा देश रक्षाबंधन के दिन ही आजादी की वर्षगांठ मना रहा। पढ़े इस बार वह भाई, बहन पर्व को कैसे मनाते हैं रक्षाबंधन का त्योहार- 

पिता की प्रेरणा से भाई, बहन ने चुन ली भारतीय सेना 

बरेली के नार्थ सिटी में रहने वाले आरएन दुबे सेना में कर्नल थे। बेटी रुचि व बेटे रवि को बचपन से ही ऐसा परिवेश दिया कि जब करियर बनाने की बारी आई तो उन्होंने भारतीय सेना ही चुनी। बरेली कॉलेज से बीएससी करने के बाद रुचि ने आर्मी के पुर्ण स्थित इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया। वर्ष 2000 में कोर्स पूरा करने के बाद प्लेसमेंट हुआ और वह सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल बन गईं। हमेशा करतीं, पिता ने प्रेरित किया कि सबसे पहले देश के बारे में सोचो। बस, उनकी वह लाइन हमेशा याद रही। इसीलिए इंजीनियरिंग करने के बाद सेना का हिस्सा बनी। छोटे भाई रवि ने वर्ष 2000 में बरेली कॉलेज से बीएससी किया। पिता आर्मी में थे, बहन भी उसी रास्ते पर जा चुकी थीं इसलिए रवि ने भारतीय सेना का हिस्सा बनाना तय किया। कंबाइंड डिफेंस सर्विस (सीडीएस) की परीक्षा पास की और वर्ष 2004 में आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल बन गए। 2004 में आरएन दुबे रिटायर्ड हो गए।

 

बहन जम्मू में, भाई दिल्ली में तैनात

लफ्टिनेंट कर्नल रुचि इस वक्त जम्मू के ऊधमपुर में नार्दन कमांड के सिग्नल कोर में तैनात हैं। रवि दिल्ली में आर्मी एविएशन में पायलट हैं।

ड्यूटी में ही राखी, उसी में दिवाली

रिटायर्ड कर्नल आरएन दुबे बताते हैं कि दस साल पहले दोनों को छुट्टी मिली थी तब घर आए थे। रक्षाबंधन पर रुचि ने अर्से बाद भाई रवि को राखी बांधी। वे दोनों सेना में हैं, अपनी जिम्मेदारी को खूब समझते हैं। इसीलिए वे कहते हैं, ड्यूटी में राखी और उसी में दिवाली है। देश की सीमाओं की रक्षा की जिम्मेदारी दी गई, उसे निभाते रहेंगे तो आजादी के जश्न का रंग और गाढ़ा होता जाएगा। रही बात रक्षाबंधन की तो मेरे बच्चे सीमाओं की रक्षा का वचन ले चुके हैं, उसे पूरा करते रहेंगे।

बरेली पोस्टिंग के बाद भी नहीं जा पाते थे बहन के घर

लफ्टिनेंट कर्नल रुचि व उनके भाई लेफ्टिनेंट कर्नल रवि के रक्षाबंधन पर न आने बात जब हुई तो रिटायर्ड कर्नल आरएन दुबे कहने लगे, तीन साल मैं भी बरेली में तैनात रहा। बहन हल्द्वानी में रहती थीं, इसके बावजूद उनके यहां नहीं पहुंच पाता था। वह भी नहीं आ पाती थीं। हां, राखी जरूर हर बार पोस्ट से पहुंचती थी। उसे ही कलाई पर बांधकर रक्षा का पर्व मनाते थे। रुचि और रवि भी हर साल इसी तरह त्योहार मनाते हैं। रुचि की राखियां रवि के पास पहुंचती हैं। 


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