सावधान... ताकि डिजिटल पेमेंट न करे परेशान Bareilly News
एक तरफ जहां यह ट्रांसफर का आसान और सुविधाजनक तरीका है। वहीं दूसरी ओर इसके कुछ नुकसान भी हैं। हाल में जंक्शन पर एक केस सामने भी आया है। आपकी मेहनत की कमाई बचाने के लिए।
बरेली, जेएनएन : जहां भी पैसा है, वहां फ्रॉड हो सकता है। फोन पर, इंटरनेट के जरिए या फिर आमने-सामने। यूपीआइ (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) आने से रकम ट्रांसफर करना बेहद आसान हो गया है। रेलवे में भी इसका बड़े स्तर पर उपयोग हो रहा।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआइ) संचालित यह आसान पेमेंट विकल्प है। जो आपको एक पिन के जरिए किसी भी बैंक अकाउंट में तुरंत पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा देता है। एक तरफ जहां यह ट्रांसफर का आसान और सुविधाजनक तरीका है। वहीं दूसरी ओर इसके कुछ नुकसान भी हैं। चूंकि इन दिनों मुसाफिरों को भी आसानी से शिकार बना रहा है। हाल में जंक्शन पर एक केस सामने भी आया है। आपकी मेहनत की कमाई बचाने के लिए।
ई-मेल
फ्रॉड करने वाले अपराधी यूजर को उनके यूपीआइ से जुड़ी जानकारी का पता लगाने के लिए मेल भी करते हैं। उदाहरण के तौर पर इस बारे में ईमेल मिल सकते हैं कि ऑनलाइन खरीदे सामान के एवज में उनसे दोगुना शुल्क लिया गया है। यूपीआइ के जरिए रकम वापस किए जाने की आश्वासन देकर यूपीआइ आइडी और पिन बताने के लिए कहा जाता है।
फेक बैंक एप
साइबर क्रिमिनल रकम निकालने के लिए नकली एप डिजाइन करने की हद तक जा सकते हैं। वह लोगों को यह फर्जी एप डाउनलोड करने के लिए भ्रमित करते हैं। कस्टमर से बैंक विवरण हासिल कर उसे सेव कर लेते हैं। बाद में इस जानकारी का उपयोग उनके अकाउंट से पैसे चुराने के लिए करते हैं। इसलिए, अपने मोबाइल पर भुगतान संबंधी कोई भी एप्लिकेशन डाउनलोड करने से पहले हमेशा उसकी जांच कर लें।
फोन कॉल
फोन कॉल, यूपीआइ फ्रॉड का सबसे सामान्य रूप है। इसमें साइबर क्रिमिनल सीधे संपर्क करते हैं। फोन कॉल के दौरान किसी न किसी बहाने से आपके अकाउंट की सारी जानकारी हासिल कर लेते हैं। कई बार ये खुद को सरकारी अधिकारी के रूप में भी पेश करते हैं।
एसएमएस
अधिकांश लोग स्मार्टफोन का उपयोग करके यूपीआइ पेमेंट करना पसंद करते हैं। लेकिन यूपीआइ एक बेसिक फीचर वाले फोन के जरिए भी एक्सेस किया जा सकता है। इसलिए, कभी भी अपने बैंक विवरण, यूपीआइ आइडी और पिन को एसएमएस या किसी भी प्रकार के मैसेज के जरिए शेयर ना करें।