बरातघर, होटल व रेस्टोरेंट से रोकी जाएगी अन्न की बर्बादी, जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाएगा बचा भोजन
शादी अथवा अन्य सामाजिक समारोह में बचा हुआ भोजन अक्सर फेंक दिया जाता है। भोजन की बर्बादी को रोकने की पहल अब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन करेगा।
पीलीभीत, जेएनएन : शादी अथवा अन्य सामाजिक समारोह में बचा हुआ भोजन अक्सर फेंक दिया जाता है। भोजन की बर्बादी को रोकने की पहल अब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन करेगा। सभी बरातघर, होटल व रेस्टोरेंट का डाटाबेस तैयार किया जाएगा। किसी भी समारोह में बचा हुआ भोजन पूरी तरह सुरक्षित करके उसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जाएगा।
शहर में बरातघर, होटल, रेस्टोरेंट के संचालकों को विभाग की ओर से प्रेरित किया जाएगा कि बच जाने वाला भोजन फेंकें नहीं बल्कि उसे सुरक्षित कर लें। भोजन खराब होने से पहले ही उसे स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं के माध्यम से जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जा सके। यह पहले से ही तय रहेगा कि उस भोजन को कहां और कैसे पहुंचाया जाना है। अनाथालय, निराश्रित वृद्धजनों के आश्रम, भीख मांग कर पेट भरने वाले लोगों की भोजन की जरूरत पर फोकस रहेगा, इसके लिए सर्वे का कार्य जल्द ही शुरू कराया जाएगा।
व्यापक नेटवर्क तैयार किया जाएगा
खाद्य सुरक्षा विभाग के अभिहित अधिकारी विजय कुमार वर्मा ने बताया कि विभाग की ओर से यह नई पहल शुरू की जा रही है। इसका उद्देश्य भोजन को बर्बाद होने से बचाना और जरूरतमंदों का पेट भरना है, इसके लिए व्यापक नेटवर्क तैयार किया जाएगा। होटल, बरातघर, रेस्टोरेंट संचालकों को विश्वास में लेकर सहयोग लिया जाएगा। इच्छुक संस्थाएं, जागरूक व्यक्ति भी जुड़ने के लिए संपर्क कर सकते हैं।
व्यक्तिगत रूप से काम पहले से कर रहे
ऑकेजन बरातघर के संचालक कार्तिक भसीन ने कहा कि बचा हुआ भोजन हम व्यक्तिगत रूप से जरूरतमंद लोगों को पहुंचाने का काम पहले से कर रहे हैं। अब विभाग की ओर से पहल हो रही तो यह अच्छा प्रयास है।
देर रात बचा भोजन कैसेट पहुंचाया जा सकेगा
होटल ग्रांड शारदा के संचालक डॉ. राजीव अग्रवाल ने कहा कि इस तरह की योजना सफल होना संभव ही नहीं है। देर रात समारोह खत्म होने के बाद बचा भोजन कहीं कैसे पहुंचाया जा सकेगा। इसमें व्यवहारिक कठिनाई होगी।
भोजन को खराब होने से बचाना होगा मुश्किल
होटल निर्मल के संचालक अनिल अग्रवाल ने कहा कि बचे भोजन को खाने वाले कहां मिलेंगे। भोजन भी अलग अलग ढंग का होगा। भोजन को खराब होने से बचाना भी मुश्किल रहेगा। यह योजना कतई व्यवहारिक नहीं है।
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