Move to Jagran APP

बरेली के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में कोरोना से छह की मौत, पर श्मशान घाट में 20 का कोविड प्रोटोकाल से हुआ अंतिम संस्कार

घातक कोविड संक्रमण से स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में महज छह मौत हुईं। लेकिन शहर के तीन श्मशान भूमि में कोविड प्रोटोकाल से 20 दाह संस्कार कराए गए। कोविड संक्रमित के शव का दाह संस्कार जल्दी कराना पड़ता है इसलिए बड़ी संख्या में पहुंचे शवों पर सवाल उठने लगे हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 05:00 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 05:00 PM (IST)
बरेली के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में कोरोना से छह की मौत, पर श्मशान घाट में 20 का कोविड प्रोटोकाल से हुआ अंतिम संस्कार
शहर में कुल 48 मौत में 20 कोविड संक्रमण से मरें, श्मशान भूमि के संचालक भी परेशान।

बरेली, जेएनएन। घातक कोविड संक्रमण से स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में महज छह मौत हुईं। लेकिन शहर के तीन श्मशान भूमि में कोविड प्रोटोकाल से 20 दाह संस्कार कराए गए। चूंकि कोविड संक्रमित के शव का दाह संस्कार जल्दी कराना पड़ता है, इसलिए बड़ी संख्या में पहुंचे शवों पर सवाल उठने लगे हैं।

loksabha election banner

रविवार को सिटी श्मशान भूमि पर कुल 23 शव पहुंचे, जिसमें 13 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ। संजयनगर श्मशान भूमि पर पहुंचे 20 शवों में छह शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत किया गया। गुलाबबाड़ी श्मशान भूमि पर पांच शव पहुंचे थे। जिसमें एक शव का दाह संस्कार कोविड प्रोटोकाल से हुआ।

कोविड संक्रमण से मौतों के आंकड़े बढ़ने के बाद उत्तराखंड से श्मशान भूमि पर आने वाली लकड़ी कम पड़ने लगी है। स्थानीय ठेकेदारों के जरिए श्मशानभूमि पर लकड़ी मंगवाई जा रही है। सिटी और संजयनगर श्मशानभूमि पर आम दिनों में 10 से 12 शव दाह संस्कार के लिए पहुंच रहे थे। लेकिन अब शव दोगुने हुए हैं। इसलिए लकड़ी की मांग भी बढ़ी है। लखनऊ, वाराणसी, कानपुर की तरह बरेली की स्थिति भी बिगड़ने लगी है।

कोविड प्रोटोकॉल से होने वाले अंतिम संस्कार डराते हैं..

श्मशान भूमि में शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत किया जा रहा है। इसका तो मतलब किसी संक्रमित मरीज की ही मौत हुई होगी। अब स्वासथ्य विभाग की मानेंं तो 16 अप्रैल को सात और 17 अप्रैल चार संक्रमितों की मौत का आंकड़ा जारी किया है। लेकिन श्मशान भूमि पर अंतिम संस्कार के आंकड़ों को देखें तो बड़ा अंतर सामने आ रहा है।

उत्तराखंड से आती है लकड़ी

बरेली के सिटी श्मशान भूमि और संजय नगर श्मशान भूमि पर लकड़ी उत्तराखंड से आती है। लेकिन इस वक्त लकड़ी उत्तराखंड से कम ही आ पा रही है। सिटी श्मशान भूमि पर अभी सिर्फ तीन दिन के लिए ही लकड़ी बची है। जबकि संजयनगर श्मशान भूमि पर अभी चार दिन के लिए लकड़ी बची है। दोनों ही श्मशान भूमि पर जिम्मेदारों का कहना है कि वह अब लकड़ी उत्तराखंड से मंगाने के साथ स्थानीय ठेकेदारों से भी मंगाते हैं।

संजयनगर श्मशान भूमि के सचिव महेन्द्र पटेल ने बताया कि अचानक कोरोना संक्रमण बढऩे से मृतकों की संख्या में बढ़ी है। जो संक्रमित के शव आते हैं, उन्हें कोविड प्रोटोकाल के तहत ही अंतिम संस्कार कराया जाता है। लकड़ी की अभी तो कमी नहीं है, लेकिन रेट जरूर बढ़ रहे हैं। क्योंकि लकड़ी उत्तराखंड से ही आती है। स्थानीय ठेकेदारों से भी लकड़ी ली जा रही है।

हिंदू सोशल सर्विस ट्रस्ट के सचिव विजय कुमार ने बताया कि अभी श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार के लिए कोई समस्या नहीं है। हम लोग पूरी तरह से व्यवस्थाओं में लगे हैं। इसमें संक्रमितों के शव का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत ही होता है। संक्रमण के साथ श्मशान भूमि पर शव भी अधिक आ रहे है। संक्रमितों का दाह संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के साथ ही होता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.