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Agle Janam Mohe Bitiya Na Keejo : बरेली की बे‍‍े‍ेेटियां पूंछ रही मां से ये सवाल... मांग रही जवाब... Bareilly News

मां शब्द ही अनमोल है। यह किसी भी संदेह से परे है। यह भी सच है कि जिले में हाल के दिनों में नवजात बच्चों को फेंके के कई मामले सामने आए हैं। सवाल उठना लाजिमी है

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 08:29 AM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 05:54 PM (IST)
Agle Janam Mohe Bitiya Na Keejo :  बरेली की बे‍‍े‍ेेटियां पूंछ रही मां से ये सवाल... मांग रही जवाब... Bareilly News
Agle Janam Mohe Bitiya Na Keejo : बरेली की बे‍‍े‍ेेटियां पूंछ रही मां से ये सवाल... मांग रही जवाब... Bareilly News

जेेएनएन, बरेली : मां शब्द ही अनमोल है। यह किसी भी संदेह से परे है। यह भी सच है कि जिले में हाल के दिनों में नवजात बच्चों को फेंके के कई मामले सामने आए हैं। सवाल उठना लाजिमी है कि जिस मां ने गर्भ में नौ माह तक बच्ची को रखा, उसे अपने से हमेशा के लिए दूर क्यों किया। इनके बीच ही ऐसे लोग भी हैं जो इन नवजातों को अपनाने को आतुर हैं। समाज अगर नवजातों को फेंकने वालों को कोस रहा है तो अपनाने वालों को सम्मान और प्रशंसा भरी नजरों से भी देख रहा है। सप्ताह भर में चार नवजात को फेंकने का मामला सामने आया। इनमें से दो खुशकिस्मत थे, जिन्हें जीवन मिला। दो का कुरीतियों और नासमझी में दम घुट गया। पुलिस ने ऐसे मामलों में सख्ती दिखानी शुरू की है। अभी इसका प्रभावी असर नजर नहीं आ रहा।

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नजीर बनी बिन ब्याही मां : फरीदपुर क्षेत्र की एक किशोरी बिन ब्याही मां बनी। समाज और पारिवारिक परिस्थितियां ऐसी थीं कि वह बच्ची को अस्पताल में छोड़ घर चली गई। लेकिन, ममता उसे वापस बच्ची तक ले आई। रूढ़ियों की बंदिशें तोड़कर बिन ब्याही मां बच्ची को अपनाकर नजीर बनी है।

पाल पोस कर ब्याही बेटी : फतेहगंज पूर्वी निवासी सावित्री देवी को खेत में एक बच्ची मिली थी। उन्होंने उसकी परवरिश की। पढ़ाया, लिखाया। उसके हाथ पीले किए। अब सावित्री उसी बेटी के बच्चों की नानी बन चुकी हैं। सावित्री जैसी मां समाज के लिए प्रेरणा हैं।

नवजात मिलने का घटनाक्रम

10 अक्टूबर को सिटी श्मशान में गड़े मटके में जीवित मिली बच्ची। विधायक पप्पू भरतौल उसका इलाज करा रहे हैं।

13 अक्टूबर को खजुरिया घाट के पास मृत मिला बच्चा।

15 अक्टूबर को जिला अस्पताल के शौचालय में मिला मृत नवजात।

17 अक्टूबर को मीरगंज के गांव नौगवां के खेत में बच्ची जीवित मिली। इसकी देखरेख फिलहाल राज भारती व उनकी पत्नी रचना कर रही हैं।

फेंके गए नवजात में बेटियों की संख्या अधिक, इन्हें अपनाने के लिए भी समाज से ही आगे आ रहे लोग

पुलिस ने ऐसे मामलों में सख्ती दिखानी शुरू की है, अभी प्रभावी असर नहीं दिखा। बच्चों को इस तरह फेंकना अपराध है। हालांकि समाज में कई लोग बच्चों को अपना लेते हैं। इसके लिए प्रक्रिया पूरी करनी होती है। इसमें करीब दो से तीन माह का समय लगता है। -डॉ. डीएन शर्मा, मजिस्ट्रेट, सीडब्लूसी


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