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Bareilly Trans-Woman Sanjana Simon : बरेली की ट्रांस-वीमेन संजना साइमन बाेली- शिक्षा से ही बदल सकता है ट्रांसजेंडर का भाग्य

Bareilly Trans-Woman Sanjana Simon बरेली की ट्रांस वीमेन संजना साइमन ने एक पत्रिका के फेसबुक पेज पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया है।जिसमें संजना ने अपने जीवन के कड़वे सच को उजागर किया है।संजना ने अपने वक्तव्य में बचपन से लेकर वर्तमान तक के संघर्षों को व्यक्त किया।

By Ravi MishraEdited By: Published: Fri, 10 Sep 2021 08:52 AM (IST)Updated: Fri, 10 Sep 2021 08:52 AM (IST)
Bareilly Trans-Woman Sanjana Simon : बरेली की ट्रांस-वीमेन संजना साइमन बाेली- शिक्षा से ही बदल सकता है ट्रांसजेंडर का भाग्य
Bareilly Trans-Woman Sanjana Simon : बरेली की ट्रांस-वीमेन संजना साइमन बाेली- शिक्षा से ही बदल सकता है ट्रांसजेंडर का भाग्य

बरेली, जेएनएन। Bareilly Trans-Woman Sanjana Simon : बरेली की ट्रांस वीमेन संजना साइमन ने एक पत्रिका के फेसबुक पेज पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया है।जिसमें संजना ने अपने जीवन के कड़वे सच को उजागर किया है।संजना ने अपने वक्तव्य में बचपन से लेकर वर्तमान तक के संघर्षों को व्यक्त किया। उन्होंने अपने संघर्ष के समय साथ देने वाले अनेक बुद्धिजीवियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के योगदान को भी सराहा।कार्यक्रम में लगभग डेढ़ सौ से अधिक बुद्धिजीवियों ने भाग लिया।ट्रांसजेंडर पर कई पत्रिकाओं ने कई विशेषांक भी निकाले हैं।देश विदेश में काफी लोग इस विषय पर विभिन्न विधाओं में शोध भी कर रहे हैं।

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सभ्य समाज की उपेक्षा से दुखी

संजना सभ्य समाज की उपेक्षा से दुखी है।उन्होंने कहा कि हमारा तथाकथित सभ्य समाज ट्रांसजेंडर को सदैव उपेक्षित करता रहा है।अगर ट्रांसजेंडर में थोड़ी जागरूकता को बढ़ाकर उन्हें शिक्षा से जोड़ा जाए तो वास्तव में उनकी वास्तविक और सामाजिक जिंदगी बदल सकती है और उनके जीवन का नया अध्याय शुरू हो सकता है।हालांकि ट्रांस जेंडरों के उत्थान के लिए कई संस्थाएं अपने अपने स्तर पर काम कर रही है। जो उनके सामाजिक स्तर को बढ़ाने व समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए प्रयास भी कर रही है।

परिवार से ही शुरु हो जाता है दोहरा व्यवहार

उन्होंने कहा कि किन्नरों के साथ उनके परिवार से ही दोहरा बर्ताव शुरु हो जाता है। किन्नरों का बहिष्कार कर दिया जाता है।उन्हें घर से बाहर निकाल दिया जाता है।उन्हें तुच्छ समझ कर छोड़ दिया जाता है।इसके बाद समाज भी उनके साथ ठीक व्यवहार नहीं करता।

कई कान्वेंट स्कूंलों में रही अंग्रेजी की शिक्षिका

संजना ने बताया कि वह बचपन से ही स्वयं को एक स्त्री ही मानती थीं। स्वजन को यह बात बताई तो सबने निर्णय पर सहमति जताई। अच्छी शिक्षा प्राप्त की और कई कान्वेंट स्कूलों में अंग्रेजी प्रवक्ता रहीं। इसी साल अप्रैल में दिल्ली में सर्जरी कराई और स्त्री बन गईं।


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