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Bareilly Stationery Market : स्कूल बंद होने से स्टेशनरी के कारोबार में 90 फीसद की गिरावट, जानिए क्या है काराेबारियाें के हालात

Bareilly Stationery Market कोरोना संक्रमण के चलते स्टेशनरी और बैग का करीब 90 फीसद का कारोबार चौपट हो गया। इसका सबसे बड़ा कारण स्कूल व अन्य सरकारी और गैरसरकारी दफ्तरों का बंद होना रहा। विक्रेताओं का कहना है

By Ravi MishraEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 11:34 AM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 11:34 AM (IST)
Bareilly Stationery Market : स्कूल बंद होने से स्टेशनरी के कारोबार में 90 फीसद की गिरावट, जानिए क्या है काराेबारियाें के हालात
Bareilly Stationery Market : स्कूल बंद होने से स्टेशनरी के कारोबार में 90 फीसद की गिरावट

बरेली, जेएनएन। Bareilly Stationery Market : कोरोना संक्रमण के चलते स्टेशनरी और बैग का करीब 90 फीसद का कारोबार चौपट हो गया। इसका सबसे बड़ा कारण स्कूल व अन्य सरकारी और गैरसरकारी दफ्तरों का बंद होना रहा। विक्रेताओं का कहना है कि साल भर से स्कूल, कालेज न खुलने की वजह से कापी, पेंसिल, किताबें और बैग आदि की खपत न के बराबर हो गई है। मगर, अब स्कूल खुलने के बाद धीरे-धीरे व्यापार पटरी पर लौट रहा है।

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कोरोना संक्रमण के कारण अर्थ व्यवस्था पर जहां सीधा असर पड़ा। वहीं लंबे समय से स्कूल बंद रहने की वजह से स्टेशनरी, बैग और यूनिफार्म का कारोबार ठप हो गया। विक्रेता कहते हैं कि आम दिनों में जो कारोबार साल भर में 60 करोड़ रुपये का होता था। वो अब छह करोड़ पर ही आकर सिमट गया है। विक्रेताओं की मानें तो पहले की तरह कारोबार होने में करीब एक साल का वर्ष लगेगा। वहीं अभी भी बढ़ी संख्या में छात्र-छात्राएं आनलाइन ही शिक्षा पा रहे हैं। जिस वजह से उन्हें स्टेशनरी की सामग्री की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ रही है।

लाकडाउन बना मुसीबत

हरि स्टेशनरी के मालिक विशाल चौधरी कहते हैं कि वर्ष 2020 मार्च में कोविड के चलते लाकडाउन लग गया। जिस वजह से सरकारी-गैरसरकारी दफ्तरों के साथ ही स्कूल कालेज बंद हो गए। शिक्षा को जारी रखने के लिए आनलाइन कक्षा को माध्यम बनाया। इसलिए छात्रों ने न तो किताबें खरीदी और न ही कापी पेंसिल की ज्यादा खरीदारी हो सकी।

मानव संसाधन करनी पड़ी कम

स्टेशनरी सामग्री के निर्माता अतुल कपूर ने बताया कि स्कूल-कालेज बंद होने की वजह से खपत न के बराबर हो गई। ऐसे में घाटे से बचने के लिए मानव संसाधन को भी कम करना पड़ा। स्कूल भले ही खुल गए हों। लेकिन, अभी थोक और फुटकर विक्रेता पुराना माल ही बेच रहे हैं। कई उत्पादन फैक्ट्रियां या तो बंद हो गईं या वहां लेबर को कम कर दिया है।


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