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बरेली-सीतापुर फोरलेन : तीन सौ करोड़ से अधिक बढ़ा खर्च Bareilly News

साल भर से सिर्फ कागजों पर काम हो रहा है। फिलहाल एनएचएआइ बचे हुए काम का सर्वे कर रही है। इसका संशोधित एस्टीमेट एक हजार करोड़ रुपये तक पहुंचने के आसार हैं।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 11:04 AM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 05:42 PM (IST)
बरेली-सीतापुर फोरलेन : तीन सौ करोड़ से अधिक बढ़ा खर्च Bareilly News
बरेली-सीतापुर फोरलेन : तीन सौ करोड़ से अधिक बढ़ा खर्च Bareilly News

बरेली, जेएनएन : लखनऊ जाने वाले मार्ग की दशा लगातार खराब हो रही है। इसे सही कराने का खर्च भी बढ़ता जा रहा है। साल भर से सिर्फ कागजों पर काम हो रहा है। अब तक हुई इस हीलाहवाली में 300 करोड़ रुपये से अधिक खर्च बढ़ने का अनुमान है। फिलहाल एनएचएआइ बचे हुए काम का सर्वे कर रही है। इसका संशोधित एस्टीमेट एक हजार करोड़ रुपये तक पहुंचने के आसार हैं। हालांकि अधिकारी नवंबर में टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की बात कह रहे हैं।

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एक साल पहले था 680 करोड़ का एस्टीमेट

मार्च 2018 में बरेली-सीतापुर राजमार्ग का निर्माण बंद होने के बाद एनएचएआइ ने कार्यदायी संस्था के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। जुलाई 2018 में दिल्ली मुख्यालय में एनएचएआइ व लीड बैंक एसबीआइ के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें तय हुआ कि शेष कार्य पूरा कराने के लिए एनएचएआइ एकमुश्त 680 करोड़ रुपये खर्च करेगा। जबकि, कार्य पूरा कराने के लिए कार्यदायी संस्था तलाशने की जिम्मेदारी बैंक को दी गई। बैंक टोल टैक्स की वसूली से सबसे पहले एनएचएआइ की रकम को ब्याज समेत लौटाएंगे। उसके बाद अपनी रकम निकालेंगे।

अब एक हजार करोड़ पहुंचने का आसार

बैंक कार्यदायी संस्था नहीं तलाश सका। समय निकलता गया तो अप्रैल 2019 में किए सर्वे में एस्टीमेट सौ करोड़ रुपये बढ़कर करीब 780 करोड़ रुपये हो गया। इसके बाद करीब दो महीने पहले एनएचएआइ ने सर्वे कर टेंडर निकालने की तैयारी की तो एस्टीमेट करीब सवा आठ सौ करोड़ रुपये कर दिया। अब फिर से सर्वे होगा। इसमें अनुमानित एस्टीमेट एक हजार करोड़ पार पहुंचने के आसार हैं।

डेढ़ साल से रुका है काम

एनएचएआइ ने पीपीपी मॉडल के तहत 22 जून 2010 को बरेली हाईवे प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी के साथ अनुबंध किया था। उसने इरा इंफ्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड नोएडा को काम सौंपा। काम 2011 में शुरू हुआ। वर्ष 2013 में इरा ने इसे रोक दिया। डेढ़ साल पहले इरा कंपनी काम छोड़कर फरार हो गई।

बरेली से सीतापुर तक पूरे 157 किलोमीटर मार्ग को तीन हिस्सों में बांटकर काम कराया जाएगा। इसके लिए सर्वे चल रहा है। सर्वे के बाद एस्टीमेट बढ़ने के आसार हैं। नवंबर में टेंडर प्रक्रिया की जाएगी। -एनपी सिंह, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ 


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