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Bareilly News: बरेली में घुट रहा सरकार का सपना, जीवनदायिनी नदियों का निकल रहा दम, काला हो हरा पानी

Bareilly News शहर के मध्य से निकली नदी का पानी इन दिनों काला पड़ गया है। नगर क्षेत्र की अधिकतर नालों का पानी नदियों में मिल रहा है। इससे नदियों का पानी हाथ धुलने लायक भी नहीं बचा है। ऐसे में सरकार का सपना छलावा साबित हो रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Ravi MishraPublished: Tue, 04 Oct 2022 05:19 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 05:19 PM (IST)
Bareilly News: बरेली में घुट रहा सरकार का सपना, जीवनदायिनी नदियों का निकल रहा दम, काला हो हरा पानी
Bareilly News: बरेली में घुट रहा सरकार का सपना, जीवनदायिनी नदियों का निकल रहा दम, काला हो हरा पानी

बरेली, जागरण संवाददाता। Bareilly News : यूपी के बरेली में सरकार का नदियों को प्रदूषण मुक्त करने व शहरवासियों को शुद्ध जल उपलब्ध कराने का सपना घुट रहा हैं। यहां जीवनदायनी नदियों का दम निकलता नजर आ रहा है। जिनका पानी काला हो रहा हैं। इसकी वजह है नाले नालियों से सीधे नदियों में गिरने वाला गंदा पानी।

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शहर की 229 छोटे बड़े नाले नालियों का पानी सीधे तौर पर रामगंगा, किला और नकटिया नदी में गिर रहा हैं। जिसके चलते प्रदूषित हो रही नदियां अपने अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच रही हैं।

शहर के मध्य से निकली किला और नकटिया नदी का पानी इन दिनों काला पड़ गया है। नगर क्षेत्र की अधिकतर नालों का पानी धाराप्रवाह तरीके से नदियों में मिल रहा है। इससे नदियों का पानी हाथ धुलने लायक भी नहीं बचा है। ऐसे में सरकार का प्रदूषण मुक्त नदियों का सपना व शहरवासियों के उपयोग के लिए शुद्ध जल मिलने का सपना छलावा साबित हो रहा है।

शहर से इन नदियों में गिरते नाले के रोकथाम व निदान के लिए कोई ठोस पहल नहीं हो सकी। इससे नदियों के अस्तित्व पर संकट छाया हुआ है। जिम्मेदार भी महज आश्वासन की डोज से नालों को साफ कर रहे हैं।

शहर से निकलता है 145 एमएलडी पानी, दूर है एसटीपी का सफर

शहर में 206 छोटे और 23 बड़े नाले हैं। सभी नालों का गंदा पानी सीधे तौर पर जिले के किला, नकटिया, रामगंगा में गिर रहा है। वर्तमान में रामगंगा को छोड़ कर अन्य नदियों का पानी पूरी तरह काला हो गया है, नजदीक आने पर दुर्गंध आ रही है।

कई क्षेत्र में केमिकल युक्त पानी गिरने से आक्सीजन की मात्रा पूरी तरह खत्म हो चुकी है। शहर में अब तक सिर्फ अक्षर विहार पार्क के अंदर 25 केएलडी (किलो लीटर प्रति दिन) का एसटीपी ही लगाया गया है। वहीं सरायं तल्फी में 35 एमएलडी का एसटीपी बन रहा है।

17 साल से कागज के बाहर नहीं निकला कोर्ट का आदेश

शहर में नदियों में गंदे नाले का पानी करीब 17 साल पहले से लगातार गिर रहा है। जागर संस्था के सचिव डा. प्रदीप कुमार नेनकटिया और किला नदी में शहर से निकलने वाले सीवर और गंदे नाले का पानी जाने को लेकर सीजीएम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

डा. प्रदीप के अनुसार 2004 में सीजीएम कोर्ट से नदियों के किनारे एसटीपी लगाने के आदेश हुए थे, जिस पर अभी तक अमल नहीं किया जा सका है। दावा किया कि दोनों ही नदियों के किनारे कई जगह कचरा डालकर ट्रेचिंग ग्राउंड भी बना दिया गया है।

शहर में 12 नाले का पानी बायो रेमिडेशन (प्राकृतिक पद्धति) से स्वच्छ कर नदियों में गिरता है। वर्षा की वजह से इस दौरान बायो रेमिडेशन प्रक्रिया नहीं किया जा सका, शीघ्र ही फिर बायो रेमिडेशन प्रक्रिया शुरू होगी। साथ ही हमारा सरायं तल्फी में भी 35 एमएलडी का एसटीपी बन रहा है, जिसे दिसंबर या जनवरी तक चालू करा लिया जाएगा।आरके यादव, महाप्रबंधक, जलकल 


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