Bareilly: NCERT की नकली किताब छापने के मामले में अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी, डीआइओएस को नहीं है कोई जानकारी
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद दिल्ली की टीम ने नकली किताबें छापने के मामले में अज्ञात कारोबारी पर प्राथमिकी लिखाई है। टीम ने जांच की तो पता चला कि फैक्ट्री मे एनसीईआरटी की नकली किताबें छापी जा रही थी।
संसू, भोजीपुरा: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद दिल्ली की टीम ने नकली किताबें छापने के मामले में अज्ञात कारोबारी पर प्राथमिकी लिखाई है। एनसीईआरटी की टीम को मौके से 16,580 किताबें मिली है। एनसीईआरटी के प्रोडक्शन असिस्टेंट विभाग पब्लिकेशन डिवीजन दक्षिण की ओर से दिए गए शिकायती पत्र के आधार पर पुलिस ने प्राथमिकी लिखकर मामले में जांच शुरू की है।
प्रिंटिंग प्रेस का मालिक फरार
वहीं मौके से प्रिंटिंग प्रेस का मालिक व संचालक आदि फरार हैं। एनसीईआरटी के सुनील कुमार असिस्टेंट प्रोडक्शन ने पुलिस को बताया कि एक गोपनीय सूचना एनसीईआरटी कार्यालय दिल्ली की टीम को मिली थी। जिसके आधार पर शुक्रवार को भोजीपुरा औद्योगिक क्षेत्र में एक बेनामी फैक्ट्री पर पुलिस बल के साथ छापा मारा था।
छापी जा रही थी NCERT की नकली किताबें
टीम ने जांच की तो पता चला कि फैक्ट्री मे एनसीईआरटी की नकली किताबें छापी जा रही थी। टीम ने पुलिस के सहयोग से सभी किताबें मिनी ट्रक में भरकर थाने ले गयी। टीम ने शनिवार को किताबों की कक्षावार गिनती की। इसमें कक्षा 12 की रसायन विज्ञान की 580, भूगोल की 12 हजार, अर्थ शास्त्र की चार हजार कुल 16,580 किताबें मिली।
टीम ने संयुक्त रुप से नकली किताबों को छापने के मामले में फैक्ट्री के अज्ञात कारोबारी पर प्राथमिकी लिखाई है। पुलिस ने तहरीर के आधार पर धोखाधड़ी व कापीराइट अधिनियम के तहत पंजीकृत कराया है।
किराये पर ली थी फैक्ट्री
बताया गया कि नकली किताबों के कारोबारी गाजियाबाद व नोएड़ा के रहने वाले हैं। यह फैक्ट्री बरेली निवासी एक कारोबारी से किराये पर ली थी। पिछले एक साल से एनसीईआरटी का फर्जी हालमार्क लगा नकली किताबों को छापने का काम हो रहा था। इसे गाजियाबाद निवासी नफीस नामक व्यक्ति संचालित कर रहा था।
वहीं आस पास के लोगों ने बताया कि नकली किताबों का कारोबारी सभी से दूरी बनाकर रखता था। इसके साथ ही किसी भी उद्यमी को फैक्ट्री में प्रवेश नहीं करने देता था। वहीं मुख्य मालिक और संचालक लग्जरी कारों से आया जाया करते थे।
10 से 15 ट्रक किताबें छपती थीं
फैक्ट्री में कार्यरत एक कर्मचारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया की प्रतिमाह 10 से 15 ट्रक भरकर किताबें छपती थीं। अभी तक फैक्ट्री के बारे में सटीक जानकारी किसी को नहीं है। वहीं इतने बड़े पैमाने पर फर्जी किताबों की छपाई की जानकारी किसी को नहीं हो सकी। यह स्थिति तब थी जब फैक्ट्री में कई कर्मचारी कार्यरत थे।
डीआइओएस सोमारू प्रधान ने बताया-"मामले की अभी जानकारी नहीं है, एनसीईआरटी की ओर से किसी प्रकार की ऐसी जानकारी भी नहीं दी गई। फिर भी प्रकरण की जांच करा कार्रवाई की जाएगी।"