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Jagran Vimarsh : बरेली कॉलेज के प्रवक्ता बोले- अमेरिका के दबाव में नहीं आएगा भारत Bareilly News

अमेरिका की विदेश नीति के अनुसार भारतीय विदेश नीति निश्चित नहीं की जाएगी। भारतीय नेतृत्व अपने राष्ट्रीय हितों के प्रति पहले ही सजग है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 12:44 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 01:54 PM (IST)
Jagran Vimarsh : बरेली कॉलेज के प्रवक्ता बोले- अमेरिका के दबाव में नहीं आएगा भारत Bareilly News
Jagran Vimarsh : बरेली कॉलेज के प्रवक्ता बोले- अमेरिका के दबाव में नहीं आएगा भारत Bareilly News

बरेली, जेएनएन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा से यहां बहुत ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है, इसलिए क्योंकि यात्रा का मकसद अमेरिका में चुनाव के मद्देनजर भारतीय मूल के लोगों को आकर्षित करना है। इस बीच अगर डोनाल्ड ट्रंप व्यापारिक समझौते की बात करें तो भारत देने के साथ उनसे काफी कुछ लेने की रणनीति के तहत बात करेगा। यह साफ है कि अमेरिका की विदेश नीति के अनुसार भारतीय विदेश नीति निश्चित नहीं की जाएगी। भारतीय नेतृत्व अपने राष्ट्रीय हितों के प्रति पहले ही सजग है। यह विचार बरेली कॉलेज के राजनीति शास्त्र विभाग के लेक्चरर डॉ. रमेश त्रिपाठी ने व्यक्त किए। वह सोमवार को जागरण विमर्श कार्यक्रम में ‘भारत-अमेरिका मैत्री कितनी मजबूत’ विषय पर अपनी बात रख रहे थे।

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डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद हमारी विदेश नीति के तीन फेज रहे। पहला कांग्रेस की सरकार ने 1977 तक राज किया। उसके बाद गठबंधन की सरकारों का दौर रहा। जिससे विदेश नीति कमजोर होती चली गई। हालांकि, 2004 से बहुमत की सरकारें आईं। अब पीएम नरेंद्र मोदी की बहुमत की सरकार है। यही वजह है कि 2000 से अब तक अमेरिका के सातवें राष्ट्रपति भारत आए हैं। भारत अब विकासशील श्रेणी से कुछ कदम दूर है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में भारत ही चीन से मुकाबला कर सकता है।

भारत एक पक्षीय समझौते का पक्षधर नहीं

उन्होंने कहा कि वैश्विक दृष्टि से जब तक अमेरिका द्वारा दीर्घ कालिक संबंधों की रूपरेखा तैयार नहीं की जाएगी, तब तक भारत एक पक्षीय समझौता करने का पक्षधर नहीं है।

भारत को साथ रखना मजबूरी

डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में भारत दक्षिण एशिया का शक्तिपुंज है। बिना उसको साथ लिए अमेरिका एशिया में अपने व्यापारिक और सामरिक महत्व को बनाए नहीं रख सकता है। इसलिए अमेरिका ने यह बात स्पष्ट रूप से निश्चित कर ली है कि चीनी प्रसार को रोकने के लिए भारत का साथ आवश्यक ही नहीं बल्कि अपेक्षित भी है।

किसानों को होगा नुकसान

डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि टंप की यात्र का उद्देश्य भारत से कृषि और डेयरी उत्पाद के आयात पर समझौता करना है। यदि भारत ने यह पक्ष स्वीकारा तो इससे भारतीय किसानों के हित प्रभावित होंगे। इस पर संतुलन बनाने के लिए अमेरिका को सेवा के क्षेत्र में सहयोग का समर्थन प्राप्त करने की कोशिश करनी चाहिए। वीजा में भारतीयों को ढील पर बात हो सकती है।

फिलहाल यह दिख रहा उद्देश्य

डॉ. त्रिपाठी के मुताबिक, इस यात्र का तत्कालिक उद्देश्य अमेरिकी भारत वंशियों को लुभाना है, क्योंकि अमेरिका में रह रहे भारतवंशी संख्या की दृष्टि से भले ही कम हैं, लेकिन प्रभाव की दृष्टि से शक्तिशाली हैं और वह चुनाव में दान देने में सबसे आगे हैं। साथ ही जनमत निर्माण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ से भारतीय पक्ष से व्यापार के ¨बदु पर बहुत सहयोग न प्राप्त होने के बावजूद यह यात्र की गई है।

भारत के बिना अमेरिका अब एशिया में व्यापारिक और सामरिक महत्व को नहीं बनाए रख सकता है

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा का उद्देश्य भारत से कृषि व डेयरी उत्पाद के आयात पर समझौता करना है


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