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Ayodhya Ram mandir:बरेली के कलाकार दानिश बोले, मेरी दिली ख्वाहिश है.. अयोध्या में रामायण का मंचन हो, मैं श्रीराम बनूं

तुलसीदास रचित रामायण के मंचन में प्रभु श्रीराम का किरदार निभाने वाले दानिश उत्साहित हैं। अयोध्या में श्रीराम का मंदिर जो बन रहा है। प्रभु श्रीराम के किरदार ने मुझे पहचान दी।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 06:19 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 05:53 PM (IST)
Ayodhya Ram mandir:बरेली के कलाकार दानिश बोले, मेरी दिली ख्वाहिश है.. अयोध्या में रामायण का मंचन हो, मैं श्रीराम बनूं
Ayodhya Ram mandir:बरेली के कलाकार दानिश बोले, मेरी दिली ख्वाहिश है.. अयोध्या में रामायण का मंचन हो, मैं श्रीराम बनूं

बरेली, जेएनएन : तुलसीदास रचित रामायण के मंचन में प्रभु श्रीराम का किरदार निभाने वाले दानिश उत्साहित हैं। अयोध्या में श्रीराम का मंदिर जो बन रहा है। कहते है कि प्रभु श्रीराम के किरदार ने मुझे पहचान दी। मेरी ख्वाहिश है कि अयोध्या में रामलीला मंचन हो और मैं श्रीराम बनूं। पूरा देश देखे, ऐसी भव्य तुलसी चरित रामायण का मंचन होना चाहिए।

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वह कहते हैं कि मेरा रोम-रोम पुलकित है। यह सोचकर ही कि अयोध्या में श्रीराम का मंदिर की नींव रखी जा रही है। सोचिए कि क्या पवित्रता रहती है, जब हमें रामचरित मानस का मंचन करना होता है। उससे 40 दिन पहले वि‍ंंडरमेयर थ‍ियेटर में सुंदरकांड का पाठ होता है। प्रभु श्रीराम का किरदार निभाने से 40 दिन पहले हमारा व्रत शुरू होता है। मांसाहार नहीं खाना है, अपशब्द नहीं बोलने हैं। क्रोध नहीं करना है। मर्यादा पुरुषोत्तम के दिखाए सभी रास्तों का अनुसरण हम शुरू कर देते हैं।

श्रीराम के विचारों की भव्यता ही है कि राजतिलक होना था। वह अपनी मां कैकयी से कहते हैं कि भाई हम चार है.. लेकिन राजतिलक मुझ अकेले का भला क्यों हो। सबका होना चाहिए। श्रीराम हि‍ंदुस्तान के नहीं, पूरी दुनिया के हैं। इसलिए राममंदिर बनने की खुशी सिर्फ हमारी नहीं, पूरी दुनिया की है।

 

दानिश कहते हैं कि जिस दिन निर्देशक ने मुझे श्रीराम का किरदार निभाने की पेशकश की, मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा था। शायद मुझे रामलीला में कोई और चरित्र निभाने को मिलता तो मैं मना कर देता। क्योंकि, मेरी ये चाहत थी कि मैं कभी श्रीराम का किरदार निभाऊं। विशुद्ध हि‍ंंदी, उसके उच्चारण व संवाद की कठिनाइयों को अभ्यास से दूर किया। वाल्मीकि रचित रामायण के सभी अनुवादों को पढऩे के बाद हमने जो सार निकाला, उसी का मंचन किया। लेकिन आज भले ही हम बरेली में हैं, लेकिन हमारी खुशी का मंदिर अयोध्या में बन रहा है।  


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