बरेली, जेएनएन। Azam Khan News : यूपी में रामपुर से सियासत गर्मा उठी है।सलाखों के पीछे विरोधी नेताओं से मुलाकात, शिवपाल से रिश्ता और अखिलेश से नाराजगी के बाद आजम खान के जेल से बाहर आते ही सियासी मायने लगाए जाने लगे है।अब सियासी पंडितों की नजर आजम के अगले सियासी कदमों पर गड़ी है।आजम के सियासी कदमाें से यूपी वेस्ट की सियासत में बदलाव होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।हालांकि ये बदलाव कितना आएगा और किसको कितना प्रभावित करेगा यह कहना अभी जल्द बाजी होगा। लेकिन एक बात तो तय है कि अखिलेश से नाराजगी का असर समाजवादी पार्टी सहित यूपी की सियासत में जरूर दिखेगा।
सलाखों के पीछे वो सियासी मुलाकात
27 माह बाद जेल से जमानत पर रिहा हुए आजम खान के पास इस वक्त सियासी पार्टियों के कई ऑफर है।जिनका अंदाजा सलाखों के पीछे होने वाली सियासी मुलाकातों से सहज ही लगाया जा सकता है।शिवपाल यादव से लेकर कांग्रेसी नेता प्रमोद कृष्णम जहां सलाखों के पीछे आजम खान से मुलाकात कर चुके है।वहीं राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के आजम के घर पर उनके बेटे अब्दुल्ला आजम से मुलाकात।सलाखों के पीछे होने वाली सियासी मुलाकातें कई इशारे कर रही है।जो सूबे की सियासत को प्रभावित करेंगी।
आजम की ताकत और वेस्ट की सियासत
यूं तो आजम खान हमेशा सियासत के केंद्र में रहते है, और सियासत में वह कई बार अपनी ताकत का प्रदर्शन भी कर चुके है।हाल ही में यूपी वेस्ट की सियासत में उन्होंने अपनी ताकत दिखाई।ये उन्हीं की ताकत है जो भाजपा की अांधी में भी मुरादाबाद मंडल की पांच सीटें सपा के खाते में आई।जहां उन्होंने साइकिल चलवा दी।लेकिन अब अखिलेश यादव से नाराजगी और रिश्तों की गर्माहट कुछ और ही इशारा कर रही है।
बरेली के मौलाना और शिवपाल से रिश्ता
शिवपाल से रिश्ता और सलाखों के पीछे की मुलाकात ने सियासी कदम की ओर इशारा करती है।यह संकेत जेल में मुलाकात के बाद खुद शिवपाल सिंह यादव ने दिए थे।शिवपाल से रिश्ते की करीबी हर हाल में अखिलेश और सपा के लिए नुकसानदायक साबित होगी।दोनों की मुलाकात का मतलब तीसरे मोर्चे से लगाया जा रहा है।वहीं मुस्लिम वोटर्स को सपा का बड़ा आधार माना जाता है।इसके साथ आजम खान की जेल से रिहाई के पहले बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी पहले ही उनसे अलग पार्टी बनाने की बात कह चुके है।
अखिलेश से नाराजगी के साथ सियासत
राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से आजमखान की नाराजगी की वैसे तो एक नहीं कई वजह है।लेकिन उन वजहाें में से मूल में आजम खान की रिहाई के लिए पार्टी द्वारा कोई मूवमेंट न चलाया जाना और स्वयं अखिलेश का पैरवी न करना बताया जाता है।इसके अलावा बरेली मौलाना का अखिलेश पर तीखें वार करने के अलावा कई और वजह भी है।ऐसे में जहां सपा को भारी नुकसान हाेने की प्रबल संभावना है वहीं आजम अगला सियासी कदम भी सियासत में बहुत कुछ तय करेगा।
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