चुनौतियों की डगर पर हौसले से जीता सफर
लेह के दुर्गम रास्ते, हाईवे पर तेज रफ्तार वाहनों की चुनौतियों को हौसले से बौना साबित कर सेना का साइकिल दल रविवार सुबह बरेली पहुंचा।
जेएनएन, बरेली। ग्लेशियर के दुर्गम रास्ते, हाईवे पर तेज रफ्तार वाहनों की चुनौतियों को हौसले से बौना साबित कर सेना का साइकिल दल रविवार सुबह शहर पहुंचा। 6 माउंटेन डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल कबिंद्र सिंह ने झंडा दिखाकर गरुड़ सैपर्स के 10 जांबाजों के दल का स्वागत किया। डिवीजन और सेना का नाम रोशन करने पर बधाई दी। मेडल देकर सम्मानित किया।
--'इरूनुट्रू मुने विट्री उन मुने' का घोष देता था जोश :
203 गरुड़ इंजीनियर्स के इस दस सदस्यीय दल का नेतृत्व कमान अधिकारी कर्नल पी. गोवर्द्धन रेड्डी कर रहे थे। पांच अगस्त को लेह से बरेली की 1325 किलोमीटर की यात्रा पर दल रवाना हुआ था। टीम के सदस्य कैप्टन डॉ. विनीत रघुवंशी ने अनुभव साझा करते हुए बताया कि ग्लेशियर क्षेत्र में ऑक्सीजन की कमी, पहाड़ के खराब रास्तों पर जल्दी पैर भरने से लेकर मैदानी क्षेत्र में उमस और पानी की कमी की चुनौतियां मिलीं। हर ब्रेक पर एक-एक सदस्य की फिटनेस, स्वास्थ्य की जांच करते थे। कैप्टन अनंतजोत सिंह कहते हैं कि जहां भी चुनौती ने बाधा खड़ी की वहां गरुड़ सैपर्स का ध्येय वाक्य 'इरूनुट्रू मुने विट्री उन मुने' का घोष कर जोश के साथ फिर आगे बढ़ते रहे। इस वाक्य का अर्थ है '203 जीत आगे है'। इस मौके पर कर्नल एम सलोट, लेफ्टिनेंट कर्नल हिमांशु जोशी आदि थे।
--चंडीगढ़ की साइकिलों पर बने विजेता : साइकिल दल यूं ही इस सफर पर नहीं निकल पड़ा था। कमान अधिकारी कर्नल रेड्डी ने बताया कि पूरा होमवर्क किया गया था। रूट, रोजाना ठहरने के स्थान आदि तय किए। स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण से सर्वश्रेष्ठ फिट जवानों को चुना। इस सफर के लिए चंडीगढ़ से सबसे मुफीद साइकिल और किट खरीदी गई थीं। तब पूरा हुआ देश के लिए कुछ कर गुजरने का मकसद।
--इन रास्तों से तय किया सफर : साइकिल दल ने लेह से चलकर कारू, डिबरिग, पांग, सरचू, टांडी, पलचन, पंडोह होकर मनाली तक का दुर्गम पर्वतीय रास्ता तय किया। मनाली के आगे चंडीगढ़ से मैदानी भाग शुरू हुआ। सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद होते हुए बरेली पहुंचा।