Double Murder : हत्या को हादसे की शक्ल देना चाहता था अनुराग Bareilly News
अनुराग ने वारदात में तमंचा या धारदार हथियार की जगह मूसली जैसी भारी चीज इस्तेमाल की थी। यह मूसली पीलीभीत की लोहामंडी से 180 रुपये में खरीदकर लाया था।
बरेली, जेएनएन : नीरज और उनकी पत्नी रूपा सत्संगी की हत्या को हादसे की शक्ल देने की साजिश थी। रूपा की चीख ने काम बिगाड़ा और कातिल ने उनका भी काम तमाम कर दिया। इसी कारण हत्यारोपित अनुराग ने वारदात में तमंचा या धारदार हथियार की जगह मूसली जैसी भारी चीज इस्तेमाल की थी। यह मूसली पीलीभीत की लोहामंडी से 180 रुपये में खरीदकर लाया था। शनिवार को वारदात से जुड़े कई तथ्यों और स्थितियों की पड़ताल में यही हकीकत स्पष्ट हुई।
घर में घुसने से पहले तय था क्राइम सीन
एसपी क्राइम रमेश भारतीय ने बताया कि पूछताछ में अनुराग ने जो बातें साझा कीं उसने पुलिस अधिकारियों को भी चौंकाया। रूपा सत्संगी ने पति की हत्या के लिए पांच लाख में सुपारी दी थी। लेकिन, हत्या के बजाय इसे हादसे की तरह करने को कहा। जैसे बाथरूम में गिरने, नल से चोट लगने से जख्म होते हैं, ठीक वैसे ही। 10 हजार रुपये एडवांस लेकर पीलीभीत गया। वहीं से 180 रुपये में मूसली खरीदा। कैप, मॉस्क भी खरीदे थे, जो वारदात के दिन ही घटनास्थल से बरामद हुए थे। खास बात, अनुराग और रूपा के बीच इस हत्याकांड को लेकर फोन पर कभी बातचीत नहीं हुई। अप्रैल के बाद से दोनों ने एकदूसरे से फोन पर बात करना बंद कर दिया था।
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बैग में चप्पल, पैंट-शर्ट लेकर पहुंचा था कत्ल करने
घटनास्थल से कातिल की तीन चप्पल बरामद होने की कहानी भी कुछ और निकली। पूछताछ में अनुराग ने बताया है कि वारदात में नीरज पर प्रहार करने पर खून निकलना स्वाभाविक था। इसीलिए वह एक बैग साथ में ले गया था, जिसमें एक जोड़ी चप्पल और एक शर्ट-पैंट था। रूपा खुद चीखीं तो पकड़े जाने के डर से उन पर भी वार किए। फिर खून वाले चप्पल घटनास्थल पर ही छोड़कर छत पर पहुंचा। वहां से पहले बैग फेंका, फिर खुद कूदा। इस बैग से ही एक चप्पल निकलकर प्लॉट के दूसरी तरफ गिरी थी, जिसे बरामद किया। बैग और कपड़े उसकी निशानदेही पर बरामद किए।
दिल्ली के अस्पताल में बदले खून वाले कपड़े
पुलिस के मुताबिक 24 जुलाई की रात वारदात के बाद वह डेलापीर से सेटेलाइट बस स्टैंड पहुंचा और वहां से बस से दिल्ली। 25 को सुबह दिल्ली पहुंचा। एक ऑटो वाले ने उसे गुरु तेगबहादुर अस्पताल पहुंचाया। 26 को डॉक्टर ने बोनमैरो (रीढ़ में चोट) का ऑपरेशन बताया। लेकिन, उसने दिल्ली में कोई परिचित न होने की बात कह खुद को डिस्चार्ज करा लिया। दिल्ली में ही किसी से टी-शर्ट व लोअर मांगकर खून वाले कपड़े बदले।
फोन दिल्ली के अस्पताल में छूटा, कपड़े रास्ते में फेंके
खून वाले कपड़े दिल्ली में अस्पताल से वहां के निजामुद्दीन बस अड्डा जाते वक्त रास्ते में फेंके हैं। पुलिस को अब तक यह कपड़े नहीं बरामद हो सके हैं। हां, इस आपाधापी में अनुराग का मोबाइल अस्पताल के बेड पर ही छूट गया और वह बस से आगरा में अपनी बहन के घर पहुंचा।
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पत्नी को बहन की कॉल से हुआ ट्रैक
बहन ने अनुराग की पत्नी अमीषा को उसके घायल हालत में उनके पास पहुंचने की बात बताई तभी से अनुराग पुलिस के सर्विलांस ट्रैकिंग पर आ गया था। अमीषा घर से अनुराग के लिए कपड़े लेकर आगरा गई थी।
हत्यारोपित अनुराग’ फाइल फोटो
रूपा सत्संगी से थे अनुराग के अच्छे संबंध
पूछताछ में साफ हुआ कि रूपा सत्संगी ने अनुराग से पति की हत्या कराने की डील उनकी बीमारी से आजिज आकर कर की थी। उसने पुलिस को अपने संबंध अच्छे होने बताए हैं। चरित्र को लेकर न आरोपित ने कुछ बयां किया, न अब तक छानबीन में ही इसके संकेत मिले।
नार्को टेस्ट से खुलेंगी परतें, ब्रेन मैपिंग व पॉलीग्राफ टेस्ट से अनुराग उगलेगा राज
सत्संगी दंपती की हत्या के मामले में पुलिस कार्रवाई पर उठ रहे सवालों पर जवाब देने के लिए अधिकारियों ने कमर कस ली है। परिजनों के सवालों का जवाब देने और एडीजी अविनाश चंद्र ने पूरे मामले से पर्दा उठाने के लिए आरोपित अनुराग का नाकरे टेस्ट के साथ ही ब्रेन मै¨पग व लाइ डिटेक्शन टेस्ट कराने के भी आदेश दिए है। एसएसपी मुनिराज ने शनिवार को इसलिए लिखित में आदेश जारी कर दिया है। कोर्ट से परमीशन लेकर विवेचक जल्द ही अब आरोपित अनुराग का टेस्ट कराने की प्रकिया शुरू करेंगे। वहीं कप्तान के लेटर जारी होने के बाद घटना की विवेचना कर रहे इंस्पेक्टर प्रेमनगर ने प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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क्या है पूरा मामला
24 जुलाई को राजेंद्र नगर के गुलमोहर पार्क कॉलोनी निवासी असिस्टेंट बैंक मैनेजर रूपा सत्संगी व उनके पति नीरज सत्संगी की हत्या कर दी गई थी। इसमें पुलिस ने ऑटो चालक अनुराग उर्फ अन्नू को गिरफ्तार किया था। बकौल पुलिस अनुराग ने बताया कि रूपा अपने पति नीरज की हत्या कराना चाहती थी। जिसके लिए पांच लाख में सुपारी दी थी। ढाई लाख घटना वाले दिन व बाकी घटना के बाद। घटना वाले दिन जब वह हत्या के लिए पहुंचा तो रूपा शोर मचाने लगी जिससे वह पकड़ा जाए और उसे फंसा कर खुद बच जाए। एक तरफ पति की हत्या हो जाए और दूसरी तरफ वह जेल भी चला जाए। उसके शोर मचाने के बाद ही वह वह रूपा की साजिश को समझ गया था। उसने पति को छोड़ गुस्से में रूपा पर ही मूसली से ताबड़तोड़ प्रहार कर हत्या कर दी थी।
परिजनों ने डेढ़ घंटे की थी आरोपित से बात
बकौल पुलिस की माने तो खुलासे से पहले परिजनों को आरोपित से मिलवाया गया था। वह भी एक दो मिनट की मुलाकात नहीं करीब डेढ़ घंटे की मुलाकात के साथ पूरी बातचीत की थी। आरोपित ने पूरा गुनाह कबूल किया था। उस दौरान परिजन भी सकते में थे। उनका कहना था कि पुलिस हत्या का खुलासा करे लेकिन कारण कुछ और बताए। हालांकि पुलिस भी कारणों पर पर्दा डालने की कोशिश की लेकिन मीडिया ट्रायल में आरोपित ने ही पर्ते खोल दी थी।
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क्या होता है ब्रेन मैपिंग टेस्ट
ब्रेन मैपिंग टेस्ट एक ऐसी जांच प्रक्रिया है, जिसमें आरोपित के मस्तिष्क की हलचल की छवि के जरिये उसके दोषी होने का पता लगाया जाता है। इसमें अभियुक्त को कंप्यूटर से अटैच एक हेलमेटनुमा कैप पहनाई जाती है। जिसमें कई सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगे होते हैं। जांच के दौरान फॉरेंसिक विशेषज्ञ आरोपित को अपराध से जुड़ी वस्तुओं के चित्र दिखाते हैं। आरोपी के मस्तिष्क की प्रतिक्रिया का निरीक्षण कर उसकी संदिग्धता पता की जाती है। सेंसर मस्तिष्क की गतिविधियों को मॉनीटर करता है। पी 300 तरंगों को अंकित करता है। ये तरंगे तभी पैदा होती हैं, जब आरोपित का उन चित्रों से संबंध होता है। जो निदरेष होता है, वह इन चित्रों को नहीं पहचानता।
नार्को टेस्ट क्या होता है
टेस्ट के लिए आरोपित को कुछ दवाइयां दी जाती हैं। जिससे दिमाग सुस्त अवस्था में चला जाता है, लॉजिकल स्किल थोड़ी कम पड़ जाती है। सामान्य तौर पर इसके बाद आरोपित सवालों के सच जवाब देता है। हालांकि शातिर अपराधी बच निकलते हैं।
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लाइट डिटेक्शन टेस्ट
जब किसी व्यक्ति का लाई डिटेक्शन (पॉलीग्राफी) टेस्ट किया जाता है तो उसके साथ छह सेंसर अटैच किए जाते हैं। पॉलीग्राफ मशीन में आरोपित के सांस लेने की गति, पल्स रेट, ब्लड प्रेशर, पसीना रिकॉर्ड की जाती।
सभी टेस्ट के बाद परिजनों को मिलेगा सही जवाब
पुलिस की माने तो उन्होंने परिजनों का साथ दिया। प्रेसवार्ता के दौरान अधिकारी ने सिर्फ हत्या का खुलासा किया। परिजन उसके बाद भी सवाल उठा रहे है। अब टेस्ट होने के बाद भी परिजनों के सवालों का पूरा जवाब मिल जाएगा।
टेस्ट रिपोर्ट कोर्ट में होगी पेश
पुलिस की माने तो इस पूरे टेस्ट की रिपोर्ट किसी को नहीं मिलेगी। पूरी तरह से गोपनीय होगी। सीधे कोर्ट में यह टेस्ट की रिपोर्ट पेश होगी। जिसके बाद यह विवेचना में शामिल होगा।
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