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सौहार्द के धागे में पिरो दिए अमन के मोती Bareilly News

यह बरेली के अमन पसंद बाशिंदों के सौहार्द का जज्बा ही था कि हर आशंका को निमरूल साबित कर दिया।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 09:36 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 09:36 AM (IST)
सौहार्द के धागे में पिरो दिए अमन के मोती Bareilly News
सौहार्द के धागे में पिरो दिए अमन के मोती Bareilly News

बरेली, जेएनएन : अलग-अलग मजहबों के दो बड़े पर्व। हजारों-लाखों लोगों की भीड़ एक ही वक्त में सड़क से लेकर धर्मस्थलों तक। उस पर भी खुराफात, शांति में खलल की तमाम आशंकाएं। लेकिन, यह बरेली के अमन पसंद बाशिंदों के सौहार्द का जज्बा ही था कि हर आशंका को निमरूल साबित कर दिया। सावन के अंतिम सोमवार पर नाथ मंदिरों में शांति से जलाभिषेक हुआ तो ईद-उल-अजहा (बकरीद) पर मुस्लिमों ने भी अमन की पैरोकारी का सुबूत दिया। कहीं कांवड़ियों पर मुस्लिम क्षेत्रों में फूल बरसे तो कई स्थानों पर नमाज को जाते लोगों पर हिंदुओं के हाथों पुष्पवर्षा हुई।

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अन्य सोमवार की तुलना में कम दिखे कांवड़िए

सावन के पवित्र माह में शिवालयों और नाथ मंदिरों में सोमवार को कांवड़ियों की भीड़ होती है। पहले से तीसरे सोमवार तक यही स्थिति रही थी, लेकिन अंतिम सोमवार पर दृश्य कुछ और ही थे। जहां पिछले तीनों सोमवार पर नाथ मंदिरों में 40 से 50 हजार तक कांवड़िए, शिवभक्त पहुंचते थे। इस बार यह संख्या लगभग आधी रही। 25 से 30 हजार कांवड़िए जलाभिषेक को पहुंचे।

धर्मपुर में रही शांति

सदर तहसील क्षेत्र के गांव धर्मपुर में कुर्बानी को लेकर पिछले लगभग एक सप्ताह से तनाव और विरोध की स्थिति थी। प्रशासन ने कई दौर बातचीत की। आखिर में सोमवार को दोपहर एक बजे कुर्बानी का वक्त मुकर्रर हुआ। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में इसी वक्त पर कुर्बानी की गई। अवशेष को समय से निस्तारित कराया गया। किसी तरह का विरोध या अप्रिय स्थिति नहीं हुई।

नगर निगम का टीम वर्क रहा अहम

कांवड़ियों के मार्ग पर गंदगी नहीं थी। कुर्बानी के अवशेष डलावघर या गली, मोड़ पर नहीं फैलने दिए गए। अवशेष सड़क पर फेंके जाने के बजाय सीधे नगर निगम की गाड़ियों में डालकर आबादी क्षेत्र से दूर ले जाकर निस्तारित किया गया।

चौंकिए नहीं जनाब.. ये जम्मू-कश्मीर नहीं, बरेली है। बकरीद और सावन का अंतिम सोमवार साथ ही था। ऐसे में सुरक्षा के इतने कड़े बंदोबस्त किए गए थे कि कोई भी खुराफाती न तो अकीदतमंद की नमाज में खलल डाल सके और न ही शिवभक्तों की राह में कोई बाधा पहुंचाए। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था जम्मू-कश्मीर में ही नहीं, देशभर में पुख्ता रही। बाकरगंज स्थित ईदगाह में कड़ी चौकसी के बीच अदा की गई नमाज। फोटो उमेश शर्मा

फोर्स की मुस्तैदी देती रही शांति और सुरक्षा का भरोसा

एक तरफ हजारों कांवड़िए तो दूसरी तरफ हजारों नमाजी। पुलिस व प्रशासन ने जिस तरह से होमवर्क किया, फिर मेहनत की वह काबिल-ए-तारीफ है। हर प्रमुख और संवेदनशील जगहों, चौराहों, गली में फोर्स की मौजूदगी और मुस्तैदी शांति और सुरक्षा का भरोसा दे रही थी। पांच कंपनी व एक प्लाटून पीएसी, एक कंपनी आरएएफ व एक कंपनी बीएसएफ तो तैनात थी ही, एडीजी, आइजी, एसएसपी से लेकर अन्य अधिकारी भी लगातार निगरानी में लगे रहे।

यह भी पढ़ें : मंदिर-मस्जिद से एक साथ गूंजी श्रद्धा-अकीदत की सदा www.jagran.com/uttar-pradesh/bareilly-city-reverence-to-akeedat-echoed-together-from-temple-and-mosque-bareilly-news-19482372.html

अध‍िकारियों ने कहा 

सावन के आखिरी सोमवार को पड़ी बकरीद शांतिपूर्वक लोगों ने मनाई। हर जगह शांतिपूर्ण माहौल रहा। प्रशासन की सक्रियता के साथ मीडिया और लोगों का भी सहयोग रहा। -वीरेंद्र कुमार सिंह, डीएम

बकरीद के दौरान हर जगह पर शांतिपूर्वक माहौल रहा। प्रशासन पूरी तरह से सजग था कि कहीं किसी तरह की कोई गड़बड़ी न हो। -रणवीर प्रसाद, कमिश्नर

सभी अधिकारियों व पुलिस कर्मियों ने कड़ी मेहनत की है। लोगों ने पुलिस का काफी सहयोग किया। इसलिए सभी बधाई के पात्र है। - अविनाश चंद्र, एडीजी

सभी थानाक्षेत्रों में जहां विवाद की आशंका थी पहले ही बात कर ली गई थी। पुलिस भी अलर्ट थी। सभी संवेदनशील जगहों पर सुबह से ही पुलिस फोर्स तैनात रहा। - मुनिराज जी, एसएसपी

सावन का अंतिम सोमवार और बकरीद का त्योहार सकुशल संपन्न हुआ। कहीं भी कोई घटना नहीं हुई और लोगों ने खुशीपूर्वक त्योहार मनाया। इस दौरान पूरी पुलिस फोर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। - राजेश पाण्डेय, डीआइजी

शहर में ईद-उल-अजहा और श्रवण मास के अंतिम सोमवार को सौहार्द कायम रहा। दोनों पक्षों ने एक दूसरे की भावनाओं का पूरा सम्मान दिया। आपसी भाईचारा और प्यार ही त्योहारों का असल मकसद है।

- मौलाना तस्लीम रजा खां, नबीरे आला हजरत

शहर की पहचान गंगा जमुनी तहजीब रही है। इसकी मिसाल श्रवण मास के अंतिम सोमवार और ईद-उल-अजहा के मौके पर देखने को मिली। दोनों त्योहार शांति से मने। लोगों ने एक दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखा।

- पं. बिशन शर्मा, श्री तपेश्वरनाथ मंदिर

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