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अनवरी के जनाजे को तीन दिन बाद नसीब हुए बेटों के कंधे

'ंिजंदगी इक हादसा है और ऐसा हादसा/मौत से भी खत्म जिसका सिलसिला नहीं होता..।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 01:11 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 01:11 PM (IST)
अनवरी के जनाजे को तीन दिन बाद नसीब हुए बेटों के कंधे
अनवरी के जनाजे को तीन दिन बाद नसीब हुए बेटों के कंधे

जेएनएन, बरेली : 'ंिजंदगी इक हादसा है और ऐसा हादसा/मौत से भी खत्म जिसका सिलसिला नहीं होता..।' मीना बाजार की रहने वाली अनवरी की जिंदगी और उनकी मौत की दास्तान कुछ ऐसी ही रही। जब तक जिंदा रहीं, जेल की सलाखों में कैद बेटों और पोते को देखने को तरसती रहीं और दुनिया से रुखसत होने से पहले भी ये अरमान पूरे न हो सके। बेटों के इंतजार में उनका जनाजा तीन दिन तक रखा रहा। आखिरकार शनिवार को बेटों के आने के बाद उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जा सका। अनवरी बेगम (75) हत्या के मामले में 11 साल से सजा काट रहे पांच बेटों और एक पोते से मिलने की हसरत मन में लिए ही दुनिया से रुखसत हो गई। बरसों तक वे बेसब्री से जिनकी राह तकती रहीं, वे आए भी तो अनवरी की मौत के तीन दिन बाद। तब तक जनाजा उनके इंतजार में रखा रहा। गुरुवार को दुनिया से अलविदा कहने वाली अनवरी को शनिवार देर शाम को सुपुर्द-ए-खाक किया जा सका।

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कस्बा के मीना बाजार निवासी राशिद मेंबर का करीब 15 साल पहले घर के सामने रहने वाले पड़ोसी से झगड़ा हो गया था। मामूली झगड़ा इतना बढ़ गया कि उसमें दूसरे पक्ष की लड़की की जान चली गई और एक लड़की गंभीर रूप से घायल हो गई थी। मामले में दूसरे पक्ष की तरफ से मुहम्मद राशिद के अलावा उनके बड़े भाई आरिफ, मुहम्मद शाहिद, छोटे भाई चांदबाबू, मुहम्मद जावेद और उनके बेटे यासीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। काफी दिन तक चलने वाले अदालती केस में 11 साल पहले सभी को उम्रकैद की सजा हो गई। सभी बरेली जेल में बंद है। बीते सप्ताह घर पर एक बेटे गुड्डू के साथ रहने वाली उनकी मां अनवरी बेगम (75) की तबीयत खराब हुई तो उन्होंने बेटों व पोते से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। इसके लिए घर पर मौजूद बेटे ने बरेली जेल प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन मां की आखिरी इच्छा पूरी करने की इजाजत नहीं मिल सकी। उधर, बेटों-पोते से न मिल पाने की खबर सुनकर अनवरी की हालत और बिगड़ी और उन्होंने गुरुवार की सुबह दम तोड़ दिया। मां की मौत के बाद एक बार फिर घर पर मौजूद बेटे ने अपने बड़े भाइयों व भतीजे को मां के अंतिम दर्शन के लिए जेल प्रशासन के सामने अर्जी लगाई पर कागजी कार्रवाई में एक मां की जनाजे को अपनों के इंतजार में तीन दिन गुजर गए। आखिरकार मौत के तीन दिन बाद उन्हें बेटों के कंधे नसीब हुए।


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