तलाक का फैसला सुनकर महिला ने कोर्ट के बाहर काट ली नस
तलाक के मुकदमे में अपने खिलाफ फैसला आने पर एक महिला ने अदालत के बाहर जान देने की कोशिश की
जेएनएन, बरेली : तलाक के मुकदमे में अपने खिलाफ फैसला आने पर एक महिला ने अदालत के बाहर जान देने की कोशिश की। बाएं हाथ की कलाई की नस काट ली। खून टपकता देख परिजन ने घबराकर हंगामा शुरू कर दिया। शोर शराबा सुनकर लोग और पुलिसकर्मी दौड़े व महिला को शांत किया। उसे जिला जज राजबीर सिंह से मिलवाया। जहां उसने शिकायती पत्र देकर बिना बहस के निर्णय सुना दिए जाने पर अपनी बात रखी। बाद में उसे परिजन के साथ भेज दिया गया।
राजेंद्र नगर निवासी योगेंद्र यादव ने अपनी पत्नी सिरौली के हरदासपुर निवासी रीता यादव के खिलाफ तलाक का मुकदमा किया था। मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा था। दोनों का विवाह 24 फरवरी 2011 को हुआ था। योगेंद्र यादव उत्तराखंड में प्राइवेट नौकरी करता है जबकि रीता गृहणी है। योगेंद्र का आरोप था कि पत्नी फिजूलखर्ची करती है। अपनी सास और देवर के साथ नहीं रहती है। रीता वर्ष 2012 से ही अपने मायके में रह रही है। इसके चलते दांपत्य सुखों से भी वंचित कर रखा है। रीता ने जवाब में कहा कि योगेंद्र उसके साथ मारपीट करके मायके से रकम लाने का दवाब बनाता है। पति की इस क्रूरता के बावजूद वह उनके साथ ही रहना चाहती है।
महिला ने जिला जज से की लिखित शिकायत
रीता का कहना है कि मुकदमे में 12 नंवबर की तारीख बहस के लिए तय थी। 12 नंवबर को कोर्ट में तीन बजे तक पत्रावली तलाशने पर भी नहीं मिली। उसके वकील ने बहस की अन्य तारीख देने की अर्जी दी। कोर्ट से अपने खिलाफ फैसले का डर था, इसलिए जिला जज से अन्य न्यायालय में मुकदमा ट्रांसफर कराने के लिए भी अर्जी दी थी। जिला जज ने कमेंट मांगते हुए 28 नवंबर की तारीख लगाई थी। वहीं कोर्ट नेबहस के लिए 12 नवंबर को ही अगली तारीख 14 नवंबर दी थी।
रीता के वकील ने बताया कि बुधवार को वह अपनी मुवक्किल के साथ कोर्ट में पहुंचे तो पता चला कि आदेश पारित हो चुका है। योगेंद्र यादव का तलाक का दावा कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। अब जिला जज पर भरोसा है कि उन्हें न्याय मिलेगा।
नस काटने के बाद रोती रही महिला
कोर्ट परिसर में हाथ की नस काटने के बाद न्याय के लिए गिड़गिड़ाती रही। बोली कि उसे अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया। शाम को अपने भाइयों के साथ गांव लौट गई।