अधिवक्ता बोले, आइपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक करार देने का फैसला ऐतिहासिक
शादी के बाद भी महिला के किसी अन्य पुरुष से लैंगिक संबंध बनाने को सुप्रीम कोर्ट ने अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है।
जेएनएन, बरेली। शादी के बाद भी महिला के किसी अन्य पुरुष से लैंगिक संबंध बनाने को सुप्रीम कोर्ट ने अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से आइपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक करार दिए जाने के ऐतिहासिक फैसले को लेकर दिनभर जनपद के कानूनविदों में चर्चा रही। किसी ने इस फैसले को महिलाओं की समानता के हिसाब से सही ठहराया तो किसी ने इसकी भविष्य में दुष्परिणाम सामने आने की बात कही। अधिवक्ताओं ने कहा कि इस फैसले के बाद वैवाहिक संस्था का समाज में कोई महत्व नहीं रह जाएगा।
--फर्जी केसों पर लगेगी लगाम
दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बनाए संबंध अपराध की श्रेणी में नहीं आने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय है। इस फैसले के बाद बहुत हद तक फर्जी मुकदमों पर लगाम लगेगी। सभी कानून देश के नागरिकों की बेहतरी के लिए बनाए जाते हैं।
- घनश्याम शर्मा, अध्यक्ष, बार एसोसिएशन
--भविष्य में आ सकती हैं मुश्किलें
ऐसे फैसलों से समाज के ताने-बाने पर बड़ा असर पड़ेगा। लैंगिक संबंधों की आजादी से भविष्य में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि इस फैसलों को सुनाते वक्त संविधान पीठ ने सामाजिक सरोकारों को भी ध्यान में रखा होगा। जब तक इस फैसले का अध्ययन नहीं कर लिया जाता इसके बारे में अधिक नहीं कहा जा सकता।
- राधा कमल सारस्वत, पूर्व अध्यक्ष, बार एसोसिएशन
--विवाह जैसी संस्थाएं हो जाएंगी नष्ट
इस तरह का फैसला भारतीय समाज के लिए उपयुक्त नहीं है।इस फैसले के कारण समाज से विवाह जैसी संस्थाएं नष्ट हो जाएगी। भारतीय अपनी संस्कृति के लिए विश्वपटल पर पहचाने जाते हैं।
- फिरासत उल्ला खां, पूर्व डीजीसी क्राइम
--प्रथम दृष्टया ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट की ओर से आइपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक करार देने का फैसला प्रथम दृष्टया ऐतिहासिक है। हालांकि फैसले के अध्ययन के बाद ही इसके बारे में कुछ कहा जा सकता है।
- सोनी बी मलिक, एडीजीसी क्राइम