गंदगी फैलाने पर सख्ती से हो कार्रवाई, तभी आएगा बदलाव
2014 में भाजपा सत्ता में आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान की शुरूआत की।
जागरण संवाददाता, बरेली : 2014 में भाजपा सत्ता में आई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान की शुरूआत की। खुद झाड़ू थमाकर देशवासियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। इसके बाद लोगों ने इस ओर सोचना भी शुरू किया, लेकिन स्वच्छता आदत में शामिल नहीं हो सकी। दूसरा पहलू यह भी है कि सफाई को ऐच्छिक मान लिया गया, गंदगी करने वालों पर सख्ती नहीं हो सकी। नतीजा यह हुआ कि लोग अपने घरों को तो साफ कर देते मगर वहां से कूड़ा निकालकर सड़क पर ढेर लगा देते हैं। यदि हर इंसान जितनी फिक्र अपने घर को साफ करने की करता है, उससे दस फीसद भी शहर की चिंता करने लगे तो गंदगी नहीं दिखेगी।
ये बातें सोमवार को स्वच्छ भारत अभियान की बाधाएं विषय पर आयोजित जागरण विमर्श कार्यक्रम में बरेली कॉलेज के पर्यावरण विज्ञान विभाग के रिटायर्ड प्रो. दिनेश कुमार सक्सेना ने कहीं।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बेहद जरूरी
प्रो. सक्सेना ने बताया कि अभी स्वच्छता के नाम पर घरों के बाहर से कूड़े को उठाकर डंपिंग ग्राउंड में डाला जा रहा है। वहां कई मीट्रिक टन कूड़ा सड़ रहा है। इससे हमारी भूमि और वायु ही नहीं, बल्कि भूगर्भ जल भी प्रदूषित हो रहा है। बारिश के दिनों में कूड़े पर गिरने वाला पानी इसमें मौजूद बैक्टीरिया, मैटल एवं हेवी तत्वों से प्रदूषित हो जाता है। जो बाद हमारे ग्राउंड वाटर तक पहुंच रहा है। इसलिए कूड़े के निस्तारण के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बेहद जरूरी है। जिसमें कूड़े की रिसाइकिलिंग हो सके। मसलन, कूड़े से बायो, प्लास्टिक, मैटल आदि वेस्ट को अलग-अलग कर अन्य काम के लिए उपयोगी बना सके।
स्वच्छता के लिए सख्त कानून बनाने की आवश्यकता
प्रो. डीके सक्सेना ने बताया कि यूरोप के देशों में स्वच्छता को लेकर कानून बेहद सख्त है। वहां गंदगी फैलाने पर सजा के प्रावधान किए हैं। मलेशिया में तो गंदगी फैलाने पर जुर्माने के साथ ही दो कोड़े मारने की सजा है। इसलिए वहां लोग स्वच्छता को लेकर काफी सतर्क रहते हैं। हमारे देश में भी सख्त कानून बनाए जाने की आवश्यकता है। ताकि लोग गंदगी फैलाने से पहले दो बार सोचें।
लोग को जागरूक कर जिम्मेदार बनाएं
किसी भी शहर को स्वच्छ बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि वहां के लोगों को जागरूक किया जाए। उन्होंने बताया कि विदेशों में हर घर के बाहर अलग-अलग डस्टबिन लगे रहते हैं। जिसमें लोग घरों में निकलने वाला सूखा व गीला कूड़ा अलग-अलग डालते हैं। जिससे सफाईकर्मी वहां से एकत्रित कर ले जाते हैं। इससे कूड़े को निस्तारित करने में आसानी होती है। हमारे यहां भी लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए कि वह गीला व सूखा कूड़े को एक में न मिलाएं।