जिस कुर्सी पर बैठते हैं अधिकारी, उस पर बैठा डॉन बबलू
कलेक्ट्रेट में एनआइसी की जिन कुर्सी पर बैठकर विकास की योजनाओं का खाका अधिकारी खींचते हैं, उन्हीं पर डॉन भी बैठा।
बरेली। कलेक्ट्रेट में एनआइसी की जिन कुर्सी पर बैठकर विकास की योजनाओं और लखनऊ के बड़े अधिकारियों के निर्देशों पर जिले के अफसर चर्चा करते हैं, गुरुवार को उस पर माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव बैठा। सेंट्रल जेल में बंद ओमप्रकाश उर्फ बबलू श्रीवास्तव को इलाहाबाद के एक हाईप्रोफाइल अपहरण केस में अभियुक्त होने पर वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी के लिए कलेक्ट्रेट लाया गया था। बबलू की मौजूदगी के दौरान कलेक्ट्रेट परिसर और एनआइसी भवन स्वचालित हथियारों से लैस कमांडो की निगहबानी में रहा।
इलाहाबाद में करीब 10 साल पहले हुए दंपती को बंधक बनाने, अपहरण कर फिरौती वसूल करने के केस में बबलू श्रीवास्तव मुख्य आरोपित है। केस इलाहाबाद के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-16 किरनपाल सिंह की कोर्ट में विचाराधीन है। इसी केस में गुरुवार को बबलू की पेशी थी। दोपहर करीब साढ़े बारह बजे बबलू को केंद्रीय कारागार की हाई सिक्योरिटी बैरक से निकाला गया। भारी-भरकम सुरक्षा पुलिस की तीन वैन के काफिले के साथ करीब पौने एक बजे कलेक्ट्रेट पहुंचा। वैन से उतरते ही उसे एनआइसी के वीडियो कान्फ्रेंसिंग हॉल ले जाया गया। एनआइसी की जिन कुर्सी पर बैठकर विकास की योजनाओं और लखनऊ के बड़े अधिकारियों के निर्देशों पर जिले के अफसर चर्चा करते हैं, माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव भी उनपर बैठा। लगभग एक घंटे तक कोर्ट की सुनवाई ऑनलाइन चली। इस दौरान डॉन बबलू एनआइसी के कक्ष में मौजूद रहा। लगभग डेढ़ घंटे तक कमांडो एनआइसी भवन की सुरक्षा में मुस्तैद रहे। इस दौरान पूरा कलेक्ट्रेट छावनी के रूप में तब्दील रहा। बाद में उसे सुरक्षा के साथ सेंट्रल जेल वापस पहुंचाया गया।