हादसे में दिव्यांग हुई छात्रा को मिलेगा 87 लाख मुआवजा
10 साल से ज्यादा वक्त हो गया। सुशीला बिस्तर से उठकर एक कदम पैदल नहीं चल पाती हैं। एक साल तक अस्पताल में भर्ती का खर्च उठाने में पिता ने सारी जमा पूंजी खर्च कर दी। इसके बाद घर ले आए। सुशीला को बेहतर इलाज मिलने की उम्मीद जगी है।
बरेली,जेएनएन। 10 साल से ज्यादा वक्त हो गया। सुशीला बिस्तर से उठकर एक कदम पैदल नहीं चल पाती हैं। एक साल तक अस्पताल में भर्ती का खर्च उठाने में पिता ने सारी जमा पूंजी खर्च कर दी। इसके बाद घर ले आए। अब सुशीला को बेहतर इलाज मिलने की उम्मीद जगी है। इस प्रकरण में बुधवार को मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्युनल ने उन्हें राहत देने वाला फैसला सुनाया। आदेश दिया कि हादसे के कारण दिव्यांग हुई छात्रा को 87.75 लाख का मुआवजा दिया जाए।
18 अप्रैल 2010 को भोजीपुरा के कमुआ मकरूका की रहने वाली सुशीला देवी परीक्षा देने अपने चाचा के साथ बाइक से बरेली जा रही थीं। नैनीताल रोड पर करमपुर चौधरी के पास ट्रक ने बाइक में पीछे से टक्कर मार दी। पहिये के नीचे आने से सुशीला की रीढ़ व कूल्हे की हड्डी टूट गई, शरीर में कई जगह गहरी चोट आई। एक साल तक अस्पताल में भर्ती रही। जान तो बच गई मगर, कमर के नीचे का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाने से मल-मूत्र के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ी। परिवार वाले घर ले आए। स्वजन देखरेख में लगे रहते, दैनिक कार्यों में मदद के लिए एक सहायिका रखनी पड़ी। इस मामले में इलाज से लेकर मुआवजा तक की पैरवी में सुशील के पिता को जमीन का एक हिस्सा बेचना पड़ गया। पीडि़ता के अधिवक्ता विशंभर कुमार आनंद ने बताया कि छात्रा की दशा को देखकर पीठासीन अधिकारी कौशलेंद्र यादव ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 87.75 लाख रुपये मुआवजा दिलाए जाने के आदेश दिए हैं। इन रुपयों पर छात्रा किसी अच्छे अस्पताल में नये सिरे से इलाज करा सकेगी।
इससे पहले युवक को मिला था 90 लाख का मुआवजा का आदेश
बुधवार को मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल ने एक सप्ताह के अंदर दूसरा बड़ा फैसला दिया। दुर्घटना में घायल युवक को 90 लाख रुपये मुआवजा का आदेश सात जनवरी को दिया था।
22 जनवरी वर्ष 2015 को बीडीए कॉलोनी के रहने वाले कविराज श्रीवास्तव सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए थे। उस वक्त उनकी उम्र 24 साल थी। सड़क दुर्घटना में कविराज की बोलने, समझने व पहचानने की शक्ति चली गई थी। कई अस्पतालों में उनका इलाज चला। कई ऑपरेशन हुए लेकिन, उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। उनका अब भी इलाज चल रहा है। अधिवक्ता ने बताया था कि कि वाद दायर करने तक वादी का 90 लाख रुपए इलाज में खर्च हो चुका था। एमएसीटी के पीठासीन अधिकारी कौशलेंद्र यादव ने पीडि़त को ब्याज सहित 90 लाख रुपए दिलाए जाने के आदेश जारी किए थे।