इस गांव की ऐसी खासियत कि मुख्यमंत्री योगी भी खिंचे चले आए
शाहजहांपुर जिले का एक ऐसा गांव जिसके बारे में जाना तो मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ भी खुद को राेक न सके।
बरेली, जेएनएन: बरेली जिले की सीमा से सटा और शाहजहांपुर में बसा एक ऐसा गांव जिसके बारे में जाना तो मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ भी खुद को राेक न सके। इस गांव में जाने का कार्यक्रम तय कर लिया। कुछ ही घंटे बाद वह इस गांव में पहुंच जाएंगे। यह गांव है नवादा। खासियत यह है कि शहीद रोशन सिंह यहीं के रहने वाले थे। उनका परिजन आज भी यहां रहते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वहां पहुंचे शहीद रोशन सिंह को श्रद्धांजलि देंगे और उनके परिजनों से मुलाकात करेंगे।
शहीद की प्रपौत्री को नौकरी मिलेगी
शहीद की प्रपौत्री सरिता सिंह दिव्यांग हैं और एमबीए करने की बाद बेरोजगार हैं। शनिवार को तैयारियों के सिलसिले में जब मंडलायुक्त रणवीर सिंह ने गांव पहुंचकर उनसे मुलाकात की तब आश्वासन दिया कि उनके लिए रोजगार की व्यवस्था कराई जाएगी। कंप्यूटर विभाग में उन्हें नौकरी मिलेगी।
यह है कार्यक्रम
मुख्यमंत्री हेलीपैड पर उतरने के बाद सबसे पहले शहीद ठाकुर रोशन सिंह की प्रतिमा पर जाकर माल्यार्पण करेंगे। इस दौरान वहां पर कटरा विधायक वीर विक्रम ङ्क्षसह अपने तीन साथियों के साथ मौजूद रहेंगे। प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद मुख्यमंत्री मंच पर पहुंचेंगे जहां उनका स्वागत किया जाएगा। शनिवार को डीएम अमृत त्रिपाठी व एसपी डॉ. एस चिनप्पा सुबह से ही गांव पहुंच गए। देर रात तक वहां पर तैयारियां होती रहीं। कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने सभा स्थल पर पहुंचकर निरीक्षण किया। तमाम व्यवस्थाओं में सुधार करने के भी निर्देश दिए। देर शाम मंडलायुक्त रणवीर प्रसाद तथा आइजी ध्रुव कांत ठाकुर अपने काफिले के साथ सभा स्थल पर पहुंचे।
कौन हैं शहीद रोशन सिंह
क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह का जन्म इस गांव में 22 जनवरी 1892 को हुआ था। उनकी माता जी का नाम कौशल्या देवी एवं पिता जी का नाम ठाकुर जंगी सिंह था।असहयोग आंदोलन में उनका योगदान रहा। बरेली में हुए गोली-काण्ड में एक पुलिस वाले की रायफल छीनकर जबर्दस्त फायरिंग शुरू कर दी थी जिसके कारण हमलावर अंग्रेजों को उल्टे पांव भागना पडा। हालांकि बाद में मुकदमा चला और ठाकुर रोशन सिंह को सेण्ट्रल जेल बरेली में दो साल कैद काटनी पडी। बाद में एक डकैती कांड में उन्हें फांसी दे दी गई। हालांकि वह उसमें शामिल नहीं थे।