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जल्दबाजी में बिल पास कराने के पीछे राजनीति, समाज में बढ़ेगी खाई

एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के तत्काल गिरफ्तारी पर रोक फैसले पर कानूनविद ने राय व्यक्त की

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 03:03 AM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 03:03 AM (IST)
जल्दबाजी में बिल पास कराने के पीछे राजनीति, समाज में बढ़ेगी खाई
जल्दबाजी में बिल पास कराने के पीछे राजनीति, समाज में बढ़ेगी खाई

जागरण संवाददाता, बरेली : एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के तत्काल गिरफ्तारी पर रोक फैसले के बाद देश में बड़ी बहस छिड़ गई। देश भर में ¨हसक प्रदर्शन हुए। विपक्ष ने भी इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देना शुरू कर दिया। इस पर आगामी चुनाव के मद्देनजर दबाव में आकर सरकार को जल्दबाजी में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एससी-एसटी (अत्याचार रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2018 लोकसभा में पास कराना पड़ा। अब संसद से संशोधित बिल पास कराकर पूरी तरह से उच्चतम न्यायालय का फैसला पलटना चाहती है। अगर सरकार संसद में बिल पास करा लेती है तो इससे समाज में संगठनों के बीच खाई बढ़ेगी। साथ ही झूठे मुकदमों में भी वृद्धि होगी। जिस पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था। ये बातें सोमवार को एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटना कितना सही? विषय पर आयोजित जागरण विमर्श कार्यक्रम में पूर्व डीजीसी राजेश यादव व वरिष्ठ कानूनविद शशिकांत शर्मा ने कहीं।

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फर्जी मामलों पर अंकुश लगाने के लिए दिया फैसला

संविधान की रक्षा व व्यक्ति के अधिकारों को बचाए रखने के लिए कानून बनाए गए। कानून का सही से पालन हो, सुप्रीम कोर्ट इसकी निगरानी करता है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है इसलिए सुभाष काशीनाथ महाजन की याचिका पर फर्जी मामलों पर अंकुश लगाने वाला ये अहम फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक्ट में ज्यादा कोई परिवर्तन नहीं हुआ। बस सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि पब्लिक सर्वेट की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जाच जरूरी होगी। ताकि किसी को बेवजह जेल न जाना पड़े।

वर्तमान में 60 फीसद मामले झूठे

कानून विद राजेश यादव ने बताया कि वर्तमान में एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले 60 फीसद मामले झूठे होते हैं। जमीनी व अन्य विवाद में दूसरे पक्ष पर दबाव बनाने के लिए एससी-एसटी एक्ट लगा दिया जाता है। अगर सरकार की ओर से संशोधित बिल पास हो जाता है। इनमें वृद्धि होगी।

दहेज उत्पीड़न कानून बेहतर उदाहरण

बोले कि पूर्व में दहेज उत्पीड़न कानून में संशोधन किया गया था। साथ ही तत्काल गिरफ्तारी का प्रावधान कर दिया गया था। इसके बाद इस कानून का दुरुपयोग शुरू हो गया था। फिर इसमें संशोधन कर जघन्य मामलों में कोर्ट की अनुमति से गिरफ्तारी का प्रावधान किया गया।

वोट बैंक को लेकर जल्दी में सरकार

2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं, इसलिए इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां भी जमकर सेंकी जा रही है। शायद सरकार भी इसी वजह से संसद में संशोधित विधेयक पास कराने की जल्दी में है। क्योंकि यह बिल एक वर्ग विशेष के वोट बैंक को प्रभावित करेगा। हालांकि, इससे समाज में विघटन बढ़ेगा। साथ ही संगठनों के बीच की दूरी और बढ़ जाएगी।


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